देहरादून। चारधाम में बदरीनाथ व केदारनाथ के रावलों के धाम में पहुंचने और उनकी पूजा कराने को लेकर दो मंत्रियों में मतभेद सामने आने लगे हैं और दोनों मंत्री अलग-अलग बातें कह रहे हैं।
बताते चलें कि बदरीनाथ व केदरानाथ धाम के रावल उत्तराखंड के लिए रवाना हो गए हैं। बदरीनाथ धाम के रावल केरल से, जबकि केदारनाथ धाम के रावल महाराष्ट्र से उत्तराखंड लौट रहे हैं। हालांकि दोनों रावल के अपने-अपने धाम में पहुंचने के बाद धार्मिक महत्व के लिहाज से राहत मानी जा सकती है, लेकिन कोरोना के लिहाज से प्रदेश सरकार के दो मंत्रियों के दो अलग-अलग बयान आने के बाद से मतभेद पैदा होते नजर आ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि कपाट खुलने व बंद होने के समय रावलों की उपस्थिति बहुत जरूरी जारी मानी जाती है।
धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने दोनों रावल के रवाना होने की पुष्टि की है।
सवाल यह है कि धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज कह रहे हैं कि कोरोना टेस्ट के बाद रावल पूजन में शामिल हो सकते हैं, जबकि कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक कहते हैं कि बाहर से आने पर 14 दिन के लिए क्वारंटीन किया जाना चाहिए। इस प्रकार
दोनों रावल के कपाट पूजन में शामिल होने को लेकर फिलहाल संशय बना हुआ है।
बताते चलें कि आगामी 26 अप्रैल को अक्षय तृतीया पर गंगोत्री एवं यमुनोत्री, 29 अप्रैल को केदारनाथ धाम और 30 अप्रैल को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने का समय तय हुआ है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता मथुरादत्त जोशी ने सरकार के दो मंत्रियों के बयानों पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि पहले सरकार यह तक कर ले कि रावल कब यहां पहुंचेंगे और पूजा अर्चना में शामिल हो पाएंगे कि नहीं। जोशी ने कहा कि बेहतर होता कि प्रदेश सरकार दोनों रावल को तय से पहले उत्तराखंड ले आती और उन्हें समय पर क्वारंटीन कर दिया जाता, ताकि वे पूजा में शामिल हो सकते।
मथुरादत्त जोशी ने यह भी सवाल उठाया कि यदि समय पर चारधाम यात्रा शुरू नहीं हुई तो पहाड़ की आर्थिकी पर इसका व्यापक असर पडऩे की संभावना है। चारधाम यात्रा पहाड़ की आर्थिकी की रीढ़ है और यदि यह अव्यवस्थित होती है तो यात्रा पर निर्भर रहने वाले लोगों के सम्मुख खड़ा हो जाएगा।