पर्वतजन
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • टेक
  • वेल्थ
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम
  • Web Stories
No Result
View All Result
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • टेक
  • वेल्थ
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम
  • Web Stories
No Result
View All Result
पर्वतजन
No Result
View All Result
Home पर्वतजन

एक्सक्लूसिव: अखबार बन गए सरकार के साझीदार। कौन उठाएगा सरोकार !

इस बार के राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर अखबार सरकार के कार्यक्रमों में पार्टनर बन गए तथा जनता उनके निष्पक्ष विश्लेषण से महरूम रह गई

November 9, 2019
in पर्वतजन
ShareShareShare

Advertisement
ADVERTISEMENT

राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर इस बार अखबारों में पिछले एक सप्ताह से हा हा ही ही और नाच गाना छाया हुआ है।

इससे पहले के 18-19 सालों के राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर छपने वाले अखबारों को याद किया जाए तो पाठकों को याद आएगा कि हर साल हमने सब क्या खोया क्या पाया, क्या चुनौतियां, क्या अवसर हैं, इस तरह के विश्लेषण से कई पन्ने भरे रहते थे।

पाठक इन को गंभीरता से पढ़ते थे और समाज को आईना दिखाने वाले लोग इन अखबारों के लेखों की कटिंग को बाकायदा सहेज कर रखते थे और कईयों ने आज भी रखे हुए हैं। इनसे रेफरेंस लेने के लिए तथा आगे की समझ को बनाने के लिए काफी मदद मिलती थी।

इस बार सरकार ने राज्य स्थापना दिवस इवेंट की तरह मनाया और अखबारों को ही अपने इवेंट मैनेजर बना लिया अथवा मीडिया पार्टनर बना लिया।

पिछले 1 सप्ताह के कार्यक्रमों को अलग-अलग अखबारों को सौंप दिया। करोड़ों रुपए इस पर खर्च हो गए लेकिन कोई भी अखबार न तो इन समारोह के विषय में विश्लेषण करने को तैयार दिखा और ना ही राज्य बनने के 19 सालों का विश्लेषण करने में किसी ने फायदे का सौदा समझा।

अखबारों की पूंछ एक दूसरे के नीचे दबी हुई थी एक की पूंछ उठाते तो भेद खुलने का खतरा था, इसलिए सभी ने एक कॉमन सहमति बनाई और एक दूसरे के कार्यक्रम को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया।

इस बार अखबारों में लूट की इस साझीदारी में एक नई बात और देखने को मिली। पहले जहां कोई अखबार किसी कार्यक्रम का मीडिया पार्टनर होता था तो उसे दूसरे अखबार उस कार्यक्रम की खबर को एक लाइन में भी खबर नहीं करते थे। किंतु इस बार सब के सामुहिक हित जुड़े होने के कारण सभी अखबारों ने एक दूसरे के कार्यक्रमों को कवर किया।

अमर उजाला ने पौड़ी में मातृशक्ति को लेकर कार्यक्रम में सरकार के साथ साझीदारी की तो हिंदुस्तान अखबार ने सरकार के साथ मिलकर अल्मोड़ा में मेरे युवा मेरी शान कार्यक्रम को संपन्न किया।

मुख्यमंत्री के औद्योगिक सलाहकार केस पवार के फ्रेंचाइजी वाले चैनल एपीएन ने मसूरी में फिल्म समारोह में साझीदारी की तो दिल्ली से हिल मेल नाम की पत्रिका रैबार-2 के नाम पर टिहरी में एक कार्यक्रम में साझीदारी के बल पर लाखों रुपए बटोर ले गई।

दैनिक जागरण और राष्ट्रीय सहारा जैसे अखबार साझीदार इस तरह से तो नहीं बने लेकिन उन्हें भी खूब विज्ञापन दिए गए। कुछ और बड़े अंग्रेजी अखबारों ने ऐसे कार्यक्रमों के कराने के लिए काफी धन की मांग की तो उनसे सरकार की बात नहीं बन सकी।

किंतु इन सभी अखबारों से पिछले सालों की तरह हर साल छपने वाले राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर क्या खोया क्या पाया जैसे विश्लेषण सिरे से नदारद रहे।

अल्मोड़ा के युवा सम्मेलन को वर्षों से बेरोजगार बैठे युवा सौतेले पन की निगाह से देखते रहे। वर्ष 2016 से नर्सिंग के रिजल्ट की इंतजार कर रहे लोगों का दर्द हो या फिर 5 माह से वेतन का इंतजार कर रहे उपनल के बुढ़ाते युवा, यह सभी इस युवा सम्मेलन में अपनी झलक पाने में असफल रहे।

वही पौड़ी के मातृशक्ति सम्मेलन की खुशी से न्याय पूर्ण वेतन की मांग करके सचिवालय कूच करने वाली आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ता अपने आप को अलग-थलग महसूस करती रही।

टिहरी में आयोजित हुआ रेबार-2 कार्यक्रम अखबारों में बड़ी-बड़ी सुर्खियां बना लेकिन जनता और सोशल मीडिया पर लोग यही सवाल उठाते रहे कि भला दशकों पहले उत्तराखंड से बाहर जा चुके लोग भला टिहरी में किसको आओ “आवा अपणा घौर” का रैबार दे रहे हैं !

और सरकार ने ऐसा उत्तराखंड में क्या कर दिया है कि वह उन्हें वापस उत्तराखंड बुला रही है !! केवल निमंत्रण पत्र के आधार पर ही इस कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति थी। ऐसे में यह कार्यक्रम क्या सिर्फ पास धारकों के लिए था! ऐसे सवाल सवाल सोशल मीडिया तक ही सीमित रहे।

कुल मिलाकर इस बार का सात दिवसीय राज्य स्थापना इवेंट अखबारों की सुर्खियां और मीडिया और सरकार की सामूहिक लूट तक ही सीमित रहा और राज्य की जनता को कहीं भी इसमें अपनी झलक नहीं दिखी।

इस सप्ताह जनता छठ पूजा की खुशी को भी ईगास  की उपेक्षा के कारण भी सौतेलेपन से देखती रही।

अब तक सरकार से नाउम्मीद हो चुकी जनता ने अखबारों मे भी अपनी छवि ना पाकर सोशल मीडिया पर अपने पाठकों और लेखकों के बीच एक नई तरह का दो तरफा संवाद विकसित कर लिया है। ऐसा संवाद इससे पहले टीवी और अखबारी पत्रकारिता में संभव नहीं था।

सरकार के साथ पार्टनरशिप के कारण राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर मीडिया ने भले ही कुछ कमाई कर ली हो लेकिन विश्वास हीनता तथा संवाद हीनता की खाई को और अधिक बढ़ा दिया है, जिसे आने वाले समय में भरपाई कर पाना संभव नहीं होगा।

समाज के व्हिसल ब्लोवर, आरटीआई एक्टिविस्ट, राजनीतिक सामाजिक विश्लेषक अखबारों से ना उम्मीद हो चले हैं और सोशल मीडिया पर सक्रिय होकर एक नये तरह के सामाजिक संवाद को जन्म दे रहे हैं जो गोदी मीडिया के ताबूत में आखिरी कील सिद्ध होगा। जब अखबार जनता के सरोकार उठाना बंद कर देते हैं तो वह स्वतः अपने अवसान की उद्घोषणा ( सेल्फ डिक्लेरेशन) कर देते हैं। मीडिया लंबे समय तक बॉलीवुड पिक्चर के अरशद वारसी उर्फ सर्किट के डायलॉग की तरह कंफ्यूज रहेगा कि सरकार से उसने लिया है या दिया है !

पाठकों से अनुरोध है कि यदि आपको यह पोस्ट पसंद आई हो तो कृपया इसे शेयर कीजिएगा ताकि हमारे प्रिय अखबारों को कुछ समय रहते सद्बुद्धि आए और अपनी जिम्मेदारी को समझ सकें।


Previous Post

बिग न्यूज़ : कर्नल कोठियाल और पूर्व मुख्य सचिव राकेश शर्मा का म्यानमार में अपहरण। छूटने के बाद सुनाई दास्तान 

Next Post

सुप्रीम फैसला : मंदिर वहीं बनेगा। मुस्लिम पक्ष को कहीं और मिलेगी जमीन

Next Post

सुप्रीम फैसला : मंदिर वहीं बनेगा। मुस्लिम पक्ष को कहीं और मिलेगी जमीन

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *






पर्वतजन पिछले २3 सालों से उत्तराखंड के हर एक बड़े मुद्दे को खबरों के माध्यम से आप तक पहुँचाता आ रहा हैं |  पर्वतजन हर रोज ब्रेकिंग खबरों को सबसे पहले आप तक पहुंचाता हैं | पर्वतजन वो दिखाता हैं जो दूसरे छुपाना चाहते हैं | अपना प्यार और साथ बनाये रखिए |
  • बिग न्यूज: 1 अगस्त 2025 से होंगे ये 6 बड़े फाइनेंशियल बदलाव। आम आदमी की जेब पर पड़ेगा सीधा असर
  • खूनी संघर्ष: बीटीसी प्रत्याशी पर विरोधी प्रत्याशी ने किया हमला।अस्पताल में भर्ती
  • बड़ी खबर: मेट्रो की जमीन पर पार्क! राष्ट्रवादी पार्टी ने लगाए जमीन खुर्द-बुर्द के गंभीर आरोप
  • सावधान: दून समेत कई जिलों में भारी बारिश का अलर्ट..
  • IB Recruitment 2025: 10वीं पास के लिए सुनहरा मौका। लगभग 5000 हजार पदों पर निकली बंपर भर्तियां
  • उत्तराखंड
  • टेक
  • पर्वतजन
  • मौसम
  • वेल्थ
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • हेल्थ
July 2025
M T W T F S S
 123456
78910111213
14151617181920
21222324252627
28293031  
« Jun    

© 2022 - all right reserved for Parvatjan designed by Ashwani Rajput.

No Result
View All Result
  • Home
  • उत्तराखंड
  • सरकारी नौकरी
  • सरकारी योजनाएं
  • टेक
  • वेल्थ
  • आधार कार्ड
  • हेल्थ
  • मौसम
  • Web Stories

© 2022 - all right reserved for Parvatjan designed by Ashwani Rajput.

error: Content is protected !!