उत्तराखंड की जीरो टोलरेंस सरकार ने ब्लैक लिस्टेड कंपनी टेक्निकल कंसलटेंसी सर्विस का कार्यकाल 2 साल के लिए और बढ़ा दिया है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की सरकार कितनी गंभीर है!
इसलिए किया ब्लैक लिस्ट
उत्तराखंड डिजास्टर रिकवरी प्रोजेक्ट में गलत डीपीआर बनाने के कारण प्रोग्राम मैनेजर ने इस कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया था तथा तीन-तीन बार कारण बताओ नोटिस भी भेजा, लेकिन कंपनी ने कोई जवाब नहीं दिया।
लिहाजा इस कंपनी को 15 जुलाई 2020 को विश्व बैंक पोषित पर योजनाओं के कार्यों से बाहर कर दिया गया था और 5 साल के लिए ब्लैक लिस्ट कर दिया था।
इधर इस कंपनी के खिलाफ एक साल से जांच चल रही थी, उधर अब लोक निर्माण विभाग ने इस कंपनी का एंपैनलमेंट 2 साल के लिए बढ़ा दिया है।
अहम सवाल यह है कि जब कंपनी के खिलाफ जांच चल रही है तो फिर इसका इंपैनलमेंट कैसे बढ़ा दिया गया !
पीडब्ल्यूडी के प्रमुख अभियंता हरिओम शर्मा का कहना है कि यह फर्म न्यायालय से स्टे ले आई थी इस कारण इसका इंपैनलमेंट बढ़ाया गया है।
फर्म को 15 जुलाई 2020 को ब्लैक लिस्टेड किया गया और वह उसके बाद स्टे लाई है।
अहम सवाल यही है कि कोरोनावायरस के चलते 6 जुलाई को निर्माण विभाग ने सभी सूचीबद्ध कंपनियों का नवीनीकरण 30 सितंबर तक बढ़ा दिया था तो फिर पहले ही 1 जुलाई 2020 को ही इसका एंपैनलमेंट बढ़ाने का क्या कारण था !
इस विशेष मेहरबानी के पीछे कुछ तो कारण है !
जाहिर है कि प्रमुख अभियंता का यह तर्क सही नहीं है।
कैसे बढाया एंपनलमेंट
इस कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है, यह जानकारी शासन को भी भेज दी गई थी लेकिन इस कंपनी का एंपैनलमेंट बढ़ाते हुए शासन से भी नहीं पूछा गया।
लोक निर्माण विभाग के सचिव आरके सुधांशु ने बताया है कि उनकी “जानकारी में यह मामला नहीं है, जानकारी के बाद इस मामले में नियमानुसार कार्यवाही करेंगे।”
इस कंपनी को पहला नोटिस 1 साल पहले 10 जून 2019 को भेजा गया था।
दूसरा नोटिस भी 22 जुलाई 2019 को भेजा गया था और तीसरा नोटिस 4 फरवरी 2020 को भेजा गया था।
अहम सवाल फिर से वही है कि जब इस कंपनी के खिलाफ जांच चल रही थी तो फिर एंपैनलमेंट बढ़ाने की क्या जल्दबाजी थी