उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत का मनोबल आज पूरी तरह टूटा हुआ था। जब पत्रकारों ने उन्हें। नेतृत्व परिवर्तन के बारे में सवाल पूछा। तो उन्होंने क्या जवाब दिया आप भी सुनिए
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“तो भई छुट्टी तो उनकी भी हुई। हर किसी की छुट्टी होनी है। कोई ऐसा है जिसकी छुट्टी नहीं हुई तो बता दो मुझे आप सब की छुट्टी होनी है। “
दिल्ली में आज के शक्ति प्रदर्शन में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ इक्का-दुक्का मंत्री के समय मात्र 13 विधायक जी मौजूद रहे जबकि उन्होंने सभी विधायकों और सांसदों को दिल्ली बुलाया था।
हालत इतने लाचार हो गए हैं कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मुलाकात तक नहीं की। वहीं दूसरे खेमे में जश्न का माहौल है।
बड़ा सवाल यह है कि आखिर दूसरे खेमे में खुशियां क्यों मनाई जा रही है ! क्या उन्हें केंद्रीय आलाकमान की ओर से कोई इशारा मिल गया है?
गौरतलब है कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के औद्योगिक सलाहकार केएस पंवार की कंपनी सोशल ग्रुप द्वारा संचालित किए जा रहे। मीडिया ने अपनी खबरों में यह साफ ऐलान किया था कि “मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को कुर्सी से हटाने के पीछे उत्तराखंड के एक बड़े मंत्री का हाथ है। और इस मंत्री ने दिल्ली तथा हरियाणा के खनन तथा शराब माफिया से बड़ी धनराशि प्राप्त की है।”
अहम सवाल यह है कि यदि यह बयान गैर जिम्मेदाराना है तो फिर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस बयान पर कोई संज्ञान क्यों नहीं लिया? और यदि यह बयान सही है तो फिर इसका संज्ञान लेने की हिम्मत क्या त्रिवेंद्र सिंह रावत में नहीं बची रह गई है ?
उत्तराखंड में राजकाज चलाने की अक्षमता को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कब तक इस बयान की आड़ में छुपाते रहेंगे कि लोग उन्हें काम नहीं करने दे रहे !
मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा ताजा बयान से इन चर्चाओं को बल मिला है कि यदि कोई सही चेहरा मिले तो भाजपा हाईकमान कभी भी त्रिवेंद्र सिंह रावत को कुर्सी से हटा सकता है।
दरअसल झारखंड और दिल्ली के नतीजों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को दबाव में ला दिया है, वहीं केंद्रीय नेतृत्व को भी यह खबर है कि हिमाचल और उत्तराखंड के विधायकों में अपने मुख्यमंत्री के प्रति खासा असंतोष बढ़ गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का घोर नकारात्मक रवैया उत्तराखंड में भाजपा की सरकार को रिपीट करने के लिए खासी मुश्किल पैदा कर रहा है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का विधायकों से कितना समन्वय है, यह आज के शक्ति प्रदर्शन में सिद्ध हो गया, जब मात्र 13 विधायक ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अघोषित व्हिप पर दिल्ली पहुंचे थे।
दिल्ली चुनाव के बाद उत्तराखंड में प्रचंड बहुमत की सरकार के कारण भले ही कोई विधायक खुलकर विरोध में नहीं बोल पा रहा है। लेकिन सभी विधायक मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से खासे नाराज हैं।
त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री रहते वर्ष 2022 में होने जा रहे चुनाव में भाजपा की सरकार का पुनः सत्ता में आना खासा मुश्किल लग रहा है लेकिन संघ पृष्ठभूमि के त्रिवेंद्र सिंह रावत संघ के समर्थन से आखिर कितने दिन इस असंतोष के बावजूद अपनी कुर्सी बचाने में सफल हो पाएंगे यह आने वाला समय बताएगा।