संदीप आर्य
एक ओर संपूर्ण देश कोरोना के भय से भयभीत है, वहीं उत्तराखंड के नेता विधायक खुले आम उद्घाटन समारोह कर रहे हैं। हर जगह 200 लोगों की भीड़ मे शराब के ठेके लाॅटरी आवंटित होती है। कोटद्वार के जामा मस्जिद में 300 लोग एकत्रित हुए और प्रशासन ने इसका कोई संज्ञान नहीं लिया, जबकि उत्तराखंड में पहले ही 50 लोगों से अधिक की भीड़ के एकत्रित होने पर रोक लगाई जा चुकी है। मुख्यमंत्री खुद भीड़ में न जाने की कई बार अपील कर चुके हैं, लेकिन दूसरों को नसीहत देने का असर भला कैसे होगा, जब मुख्यमंत्री स्वयं 500 लोगों की भीड़ में उद्घाटन समारोह करने सिंगटाली पंहुचते हैं।
मुख्यमंत्री कोरोना को बेहद हल्के में ले रहे हैं और यही कारण है कि जहां एक ओर सीबीएससी आईसीएससी, इंजीनियरिंग, गढ़वाल विश्वविद्यालय, एंट्रेंस एग्जाम सहित अन्य सभी तरह की परीक्षाएं स्थगित हो चुकी हैं, किंतु उत्तराखंड बोर्ड की परीक्षाएं स्थगित नहीं की गई है। इससे शिक्षक विद्यार्थी आदि सभी बेहद तनाव में हैं।
हालत यह है कि 22 तारीख को रामनगर में अध्यापकों की मीटिंग है, जबकि 22 तारीख को ही प्रधानमंत्री ने कोरोना पर जनता कर्फ्यू के लिए अपील की हैं। उत्तराखंड सरकार वाकई नींद में लगती है।
मुख्यमंत्री ऋषिकेश से आगे सिंगटाली पंहुचे तो धन सिंह नेगी भी भारी भीड़ के साथ टिहरी के जाखनीधार में एक उद्घाटन समारोह में पंहुचे। विधायक ने वहां डेढ़ करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास किया, लेकिन किसी ने कोई संज्ञान नहीं लिया।
देहरादून में विधायक खजानदास भी खुलेआम घूमते हुए नजर आ रहे हैं। और घूमे भी क्यों न, क्योंकि जिनके पास गौमूत्र से डेंगू सही करने वाले साइंटिस्ट मुख्यमंत्री हो, उन्हें कोरोना का डर कैसा!
जब मुख्यमंत्री ही कोरोना वायरस को लेकर जलसे-समारोह से परहेज नहीं कर रहे तो फिर प्रशासन भी भला कैसे सख्ती बरतेगा!
दूसरी ओर मीडिया जगत भी सवालों के घेरे में है क्योंकि विरोध करने पंहुची उक्रांद के विरोध की तस्वीरें तो मीडिया में है, पर मुख्यमंत्री के उद्घाटन समारोह पर सवाल खड़े करने वाले कोई भी मीडिया नही। यदि उत्तराखंड में कोरोना तीसरे स्टेज में पहुंचता है तो इसके लिए मुख्य तौर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते।
उस उद्घाटन समारोह में जितने लोग भी थे, सभी की जांच होनी चाहिए क्योंकि उस समारोह मे कई लोग दिल्ली से वहां आए थे। 500 लोगों की भीड़ में कितने संक्रमित रहे होंगे, कहा नही जा सकता। ईश्वर करे सब स्वस्थ हों, और ये आशंका निर्मूल ही साबित हो।
बहरहाल लोग नेताओं और प्रशासन द्वारा कोरोना को हल्के में लेने के पीछे मुख्यमंत्री की गैर जिम्मेदारी को ही बड़ा कारण मान रहे हैं और मीडिया सहित मुख्यमंत्री की मीडिया टीम और सलाहकारों को भी कोस रहे हैं कि कोई भी उन्हें इस तरह की नासमझी भरे कार्यक्रम आयोजित करने से बचने की सलाह क्यों नहीं दे रहा है!