- देशभर से जुटे दिग्गज कलाकार, मूर्तिकार और फिल्मकार; कला, संस्कृति और सृजन का उत्सव बना आयोजन
देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड विश्वविद्यालय के ललित कला विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय ‘रंग साज 2025’ कार्यक्रम का 18 और 19 अप्रैल को भव्य आयोजन किया गया। इस कला उत्सव में देशभर से आए 12 प्रतिष्ठित कलाकारों, मूर्तिकारों और फिल्मकारों समेत सैकड़ों प्रतिभाशाली प्रतिभागियों ने शिरकत की और अपनी विशिष्ट कलात्मक अभिव्यक्ति प्रस्तुत की।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और गणेश वंदना के साथ हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ कलाकार श्री योगेंद्र कुमार उपस्थित रहे। उन्होंने चित्रकला की बारीकियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि रंग और तूलिका के माध्यम से कलाकार अपने अंतर्मन की सृजनात्मक ऊर्जा को कैसे व्यक्त करता है। उन्होंने शांतिनिकेतन में नंदलाल बोस के सान्निध्य में सीखी गई विविध कला शैलियों और तकनीकों के अनुभव भी साझा किए।
कुलपति प्रो. डॉ. प्रीति कोठियाल ने कहा, “कला एक साधना है, जो कलाकार को समाज के विविध पहलुओं को रचनात्मक रूप में अभिव्यक्त करने की क्षमता देती है।”
कार्यकारी निदेशक डॉ. आर. के. त्रिपाठी ने कला को “आत्मीय चिंतन एवं कल्पना का सृजनात्मक रूप” बताया, जो समाज के यथार्थ को प्रभावशाली ढंग से दर्शाता है।
इस अवसर पर उप कुलपति डॉ. संदीप शर्मा, शैक्षणिक अधिष्ठाता डॉ. कनिष्क झा, अनुसंधान एवं नवाचार अधिष्ठाता डॉ. नवील अहमद, कुलसचिव मेजर जनरल ओ. पी. सोनी सहित विश्वविद्यालय के अनेक वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एंड लिबरल आर्ट्स की अधिष्ठाता डॉ. भावना गोयल ने सभी प्रतिभागियों और आमंत्रित अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की गरिमा को रेखांकित किया।
प्रमुख आमंत्रित कलाकारों में शामिल रहे:
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असुर्वेद (दिल्ली) – प्रसिद्ध मूर्तिकार एवं फिल्मकार, जिन्होंने कला की सामाजिक भूमिका पर अपने विचार साझा किए।
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वज्रनाभ नटराज महर्षि (आंध्र प्रदेश) – राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त लेखक व फिल्मकार, जिन्होंने फिल्म लेखन और फोटोग्राफी के तकनीकी पक्षों पर प्रकाश डाला।
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मेजर भारत भंडारी (देहरादून) – जिनके चित्रों में उत्तराखंड की सौंदर्यात्मक पहचान, विशेष रूप से घोड़ों के चित्रण में दिखी।
इसके अतिरिक्त, जाकिर हुसैन, मोहम्मद मोईन, डॉ. पवनेंद्र तिवारी (मेरठ), डॉ. रेनू शाही (जयपुर), डॉ. रेनू यादव (दिल्ली) और श्रद्धा शुक्ला (चमोली) जैसे नामचीन कलाकारों ने भी अपनी रचनात्मक प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।
कार्यक्रम के संयोजक और ललित कला विभाग के प्रमुख कार्यवाहक डॉ. राजकुमार पांडे ने बताया कि यह आयोजन विद्यार्थियों को प्रेरित करने और कलात्मक ज्ञान के आदान-प्रदान के उद्देश्य से किया गया। सह-संयोजक डॉ. मंतोष यादव ने कहा कि इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को कला की विविध विधाओं से परिचित कराना रहा।
कार्यक्रम को सफल बनाने में दीपशिखा मौर्य, शमशेर वारसी, सौम्या रावत, राहुल यादव, शालिनी भंडारी, भानु देव शर्मा, तथा अन्य संकाय सदस्य डॉ. मोनिका नेगी, कीर्ति मलिक, शेफाली चेतन, डॉ. सुनीता, बवेंद्र सिंह आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
‘रंग साज 2025’ न केवल एक कला कार्यक्रम था, बल्कि यह विश्वविद्यालय परिसर में कला, संस्कृति और सृजनात्मकता का जीवंत उत्सव बनकर उभरा। प्रतिभागियों और दर्शकों के लिए यह अनुभव अविस्मरणीय रहा।