देहरादून, 3 जुलाई 2025 — टिहरी बांध प्रभावितों के पुनर्वास के नाम पर हुए एक बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश करते हुए जिलाधिकारी सविन बंसल ने कड़ा एक्शन लिया है। शास्त्रीनगर तपोवन निवासी पुलमा देवी की शिकायत पर हुई जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि एक ही भूमि को एक ही व्यक्ति ने दो बार अलग-अलग लोगों को बेच दिया, और यह सब पुनर्वास विभाग के अफसरों की मिलीभगत से हुआ।
📌 मामला क्या है?
वर्ष 2007 में चंदरू पुत्र अमरू को टिहरी विस्थापित के रूप में ग्राम फुलसनी, खसरा संख्या 399 में 200 वर्ग मीटर आवासीय भूखंड आवंटित किया गया। उसने भूमि पुलमा देवी को विधिवत बेच दी, जिसकी रजिस्ट्री और कब्जा प्रमाण भी मौजूद हैं।
लेकिन हैरानी की बात यह रही कि इसी भूमि को वर्ष 2019 में चंदरू ने फिर से अपने ही नाम पर चढ़वा लिया, और पुनः किसी अन्य को बेच दिया। इस बार अवस्थापना पुनर्वास खंड, ऋषिकेश के अफसरों ने बिना किसी जांच-पड़ताल के चंदरू के दावे को सही मान लिया और उसका नाम दोबारा भूमिधरी रिकॉर्ड में दर्ज करवा दिया।
🔍 जांच में क्या निकला?
जून माह के द्वितीय जनता दर्शन में जब पुलमा देवी ने डीएम के सामने मामला उठाया तो डीएम सविन बंसल ने तत्काल जांच के आदेश दिए। जांच में यह बात सामने आई कि:
- 2007 में भूमि का वैध विक्रय हो चुका था
- 2019 में बिना दस्तावेजी जांच दोबारा भूमिधरी चढ़ा दी गई
- पुनर्वास परियोजना के अधिकारियों ने तथ्य छिपाकर फर्जीवाड़ा किया
🚨 डीएम का एक्शन:
- अधीक्षण अभियंता (टिहरी बांध पुनर्वास) का वाहन जप्त कर लिया गया
- उन्हें विवरण सहित उपस्थित होने के निर्देश
- मामले को एसआईटी जांच में भेजने की चेतावनी
- पूरे प्रकरण की अग्रिम क्रिमिनल प्रोसेसिंग के आदेश एसडीएम मुख्यालय अपूर्वा को सौंपे गए
⚖️ लंबित मामला पहले से न्यायालय में
यह मामला पहले से पुलमा देवी बनाम जतिन गोयल के नाम से माननीय सिविल जज (जूनियर डिवीजन) विकासनगर में विचाराधीन है, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर हुई लापरवाही ने पीड़िता को दोहरी पीड़ा दी।
🔚 प्रशासन का रुख सख्त
डीएम ने स्पष्ट किया कि जब तक पुलमा देवी को न्याय नहीं मिलेगा, प्रशासन चैन से नहीं बैठेगा। पुनर्वास अधिकारियों द्वारा विस्थापितों की मजबूरी और पीड़ा का फायदा उठाना बेहद शर्मनाक है, और इस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही का प्रतीक है, बल्कि यह दिखाता है कि कैसे विस्थापितों के पुनर्वास की योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है। डीएम की सख्ती से उम्मीद जगी है कि अब ऐसे मामलों में न्याय और जवाबदेही सुनिश्चित होगी।