अनुज नेगी
राजकीय चिकित्सालय ऋषिकेश सिर्फ कहने को सरकारी अस्पताल है। डाक्टर और एमआर का गठजोड़ गरीबों की जेब काट रहा है। गठजोड़ के चलते सरकारी अस्पताल में गरीबों का इलाज और जांच ‘पैकेज’ से हो रहा है।
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डाक्टर खुद मरीजों से बाहर के मुकाबले आधी दरों में सुविधाएं मुहैया कराने का दावा करते हैं। ओपीडी में डॉक्टर की कुर्सी पर दवा कंपनियों के प्रतिनिधि काबिज रहते हैं। बिना रोक-टोक मरीजों के पर्चे पर बाहर की दवाएं भी लिखते हैं।
राजकीय चिकित्सालय ऋषिकेश में डॉक्टर के जगह एमआर बैठे रहते हैं,यही नही जब डॉक्टर नहीं रहते तो एमआर खुद ही मरीजों की पर्ची बना कर दवाई लिख लेते हैं।
आपको बता दें, राजकीय चिकित्सालय ऋषिकेश में बृहस्पतिवार को सुबह एक डेंगू का मरीज अपना इलाज कराने अस्पताल पहुँचा ,जहां एमआर डॉक्टर के कक्ष में था और डॉक्टर साहब गायब। एमआर खुद मरीजो की पर्ची बना रहा था।
जब डेंगू के मरीज ने एमआर को पूछा कि आप क्या हो तो एमआर ने खुद को एमआर बताया और कहने लगा कि डॉक्टर साहब ने मुझे पर्ची बनाने को कहा है।जब खुद डॉक्टर साहब एमआर को अपने कक्ष में रहने को कह रहे हैं तो आप समझ सकते है कि डॉक्टर और एमआर मरीजों की जेब पर किस कदर डाका डाल रहे हैं !