डोईवाला
प्रदेश की एकमात्र शुगर मिल डोईवाला के सीज़नल कर्मचारियों पर दोतरफा मार पड़ रही है।
उन्हें न तो वर्ष 2017-18 का रिटर्निंग वेतनमान मिला है , न ही छुटियों का फाइनल वेतन और न ही पेराई सत्र के अंतिम माह अप्रैल-2019 के वेतन मिला है। जबकि इसी मिल में कार्यरत स्थायी कर्मचारियों को सभी प्रकार के वेतन भत्ते अप्रैल 2019 तक के दे दिए गए हैं। सीज़नल कर्मचारियों ने वेतन के लिये गुहार लगाई तो यह कहकर टाल दिया गया कि उन्होंने “अप्रैल 2019 में 29 दिन कार्य किया है। उनका वेतन अभी नही आएगा” और रिटर्निंग वेतन और फाइनल के विषय मे कुछ नही बताया।
जबकि शुगर मिल को अभी हाल में ही सरकार द्वारा करोड़ों रुपये दिया गया है। और चीनी, शीरे और खोई के रेट में भी इस बार बढ़ोतरी हुई है। खुद महाप्रबंधक मनमोहन सिंह ने पेराई सत्र की समाप्ति पर बताया था कि इस बार रिकॉर्ड पेराई हुई है।
तो सीज़नल कर्मचारियों का पैसा मार कर और समय पर नही देकर क्या संदेश देना चाहती है सरकार? जबकि सरकार और शासन को उस बाबत अवगत कराया गया था,तो उन्होंने समय पर कर्मचारियों का वेतन देने का आश्वासन दिया था। परंतु, फिर भी सीज़नल कर्मचारी और उनके परिवार तंगी झेलने को मजबूर है।
सुनने में तो यहां तक भी आया है कि कुछ छुटभैये यूनियन के नेता सीज़नल होते हुए भी समय पर वेतन पा लेते हैं, नेतागिरी से। सवाल यह है कि क्या, शुगर मिल आज तक मात्र स्थायी कर्मचारी ही चलाते हैं !
क्या सीज़नल जारी करनेवाला, गन्ना केंद्रों पर काम करनेवाले कर्मचारी वेतन पाने का हकदार नही है !
यदि ऐसा कोई एक्ट है तो उसे सार्वजनिक कर देना चाहिए।
अन्यथा सभी कर्मचारियों पर समान नियम लागू होने चाहिए।