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खुलासा: प्रशासन की लापरवाही से हुआ था जिला अस्पताल सील। विकास खंड के सैकड़ों डाले खतरे मे।

June 24, 2020
in पर्वतजन
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प्रशासन की लापरवाही के चलते जिला अस्पताल सील  हुआ था। और खतरे में आ गये थे विकासखंड के सैंकडों लोग

प्रदीप भारतीय

टिहरी (प्रतापनगर ) कोरोना काल मे पहले से ही संवेदनशील दौर से गुजर रहे जिला टिहरी गढवाल में प्रशासन की एक बड़ी लापरवाही सामने आयी है। संकट के दौरान टिहरी में पहले हिंडोलाखाल अस्पताल और सीएमओ ऑफिस के बाद अब नई टिहरी जिला अस्पताल भी सील कर दिया गया था। हालांकि कुछ लोगों की रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद अस्पताल तो खोल दिया गया लेकिन यह सवाल अपनी जगह कायम है लापरवाही करने वाला प्रशासन क्या ऐसेे ही लोगों का जीवन खतरे  में डालता रहेगा।

क्या था मामला

 विगत 14 जून को एक गर्भवती महिला बिना प्रशासन की जानकारी के विकासखण्ड प्रतापनगर के अन्तर्गत आते गाँव गवाड पंहुची जहाँ 15 तारीख को अचानक प्रसव पीड़ा होने पर उसे आनन फानन में उसे लंबगांव अस्पताल ले जाया गया। लेकिन हालत गंभीर होने के कारण उसे टिहरी रेफर कर दिया गया जहाँ इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी।
जहाँ एहतियात के तौरपर उसका सैंपल लेकर परिजन द्वारा अंतिम संस्कार कर दिया गया।
यहाँ तक तो मामला ठीक था लेकिन जिला प्रशासन में हडकंप तब मचा जब 20 तारीख को आयी रिपोर्ट में महिला कोरोना पाजिटिव पाई गयी यही नही महिला के पति तथा देवर भी पाजिटिव पाये गये हैं, जिसके बाद पुरे महकमे में अफरातफरी मच गई, तथा टिहरी जिला अस्पताल को सील कर दिया गया था।

यहाँ प्रतापनगर महिला के संपर्क में आये लोगों की तलाश होने लगी ज्ञात हो कि महिला के गाँव गवाड सहित ओखलाखाल तथा भिंनगी के कई लोग जो अंतिम संस्कार में थे या अफसोस करने घर गये थे उनके साथ साथ कई लोग अब खतरे की जद में आ गये हैं।

स्थानीय प्रशासन के अनुसार लंबगांव अस्पताल स्टाफ सहित 28 लोगों की लिस्ट बनाई गई है जिन्हें होम कवांरनटाइन करके सैंपल लिए जाने हैं , फिलहाल अंदर ही अंदर विभाग के हाथ पैर फुले हुए हैं।

मामला एक नही जिला प्रशासन की कई लापरवाहियाँ उजागर करता है।
सबसे पहले यह महिला उतराखंड बार्डर फिर जिला पार करके बिना प्रशासन की जानकारी के गाँव पंहुची कैसे ?
और अगर महिला के परिवार ने प्रशासन को जानकारी नही दी तो नियमानुसार उन पर अभी तक एफआईआर क्यों नही हुई।

सीएमओ ने बोला झूठ !

अब अगर महिला की कोरोना रिपोर्ट नही आई थी तो उसका शव अंतिम संस्कार के लिए प्रियजनों को क्यों दिया गया और सीएमओ द्वारा मीडिया को झूठी जानकारी क्यों दी गई !
क्योंकि अगर न्यूज़ 18 की रिपोर्ट की माने तो सीएमओ मीनू रावत का कहना है कि महिला का अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल के अंतर्गत हुआ है, जिसमें सिर्फ तीन लोग मौजूद थे लेकिन एस डी एम प्रतापनगर की कवांरनटाइन लिस्ट के अनुसार तीन गाँव के 9 लोग अंतिम संस्कार में मौजूद थे जबकि सूत्र बताते हैं कि यह आंकड़े भी अधूरे हैं।

प्रशासन की बदलती संदिग्धों की लिस्ट

हमारे हाथ प्रशासन द्वारा महिला के संपर्क में आये संदिग्धों की दो लिस्ट लगी जो पहले 32 लोगों की बधाई गयी थी लेकिन बाद में इन्हें 23 कर दिया गया।
अब अगर महिला कोरोना संदिग्ध थी तो प्रियजनों को सतर्क कयों नही किया गया जबकि महिला के घर संतावना देने वाले लगातार आते रहे।
अब सबसे बडी बात महिला की मौत 15 को हुई जबकि रिपोर्ट 20 को आई को आई इस दौरान प्रशासन द्वारा कोई एहतियात नही बरती गई अस्पताल भी चलता रहा और महिला उसके पति तथा देवर के संपर्क में आए तमाम संदिग्ध 22 तक अपनी प्रतिदिन की दिनचर्या में लगे रहे तथा सैंकड़ों लोगों के संपर्क में आये।

कहानी मे झोल ही झोल

यही नहीं इनमें से एक का पिता बैंक में कैशियर बताया जा रहा है जो 22 तारीख यानि कल तक बैंक में था।
और सबसे बडी बात टिहरी अस्पताल तो सील कर दिया गया लेकिन महिला का गाँव गवाड सील नही किया गया जबकि सरकारी लिस्ट के अनुसार ही 19 लोग गाँव के हैं। मिल रही जानकारी के अनुसार इन्हें होम कवांरनटाइन होने के लिए कहा गया है।
यहाँ तो यह भी नही कह सकते कि प्रधान के भरोसे, क्योंकि प्रधान खुद इस लिस्ट में है।
फिलहाल मामला भगवान भरोसे है अब इंतजार है संदिग्धों की रिपोर्ट का उसके बाद पता चलेगा कि प्रशासन की लापरवाही कितनों को डुबोती है
तो साहब यह है हमारा महामारी से लडता चाकचौबंद सिस्टम,

क्या कहते हैं अधिकारी.
इस बाबत उपजिलाधिकारी प्रतापनगर का कहना है कि लिस्ट में मौजूद संदिग्ध प्रत्यक्ष रूप से महिला के संपर्क में नही आये हैं, इसलिए उन्हें होम कवांरनटाइन किया गया है।


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