आबकारी महकमा रसातल में समा रहा
पौडी हरिद्वार के बाद अब नैनीताल जिले में डीएम एक्शन मे
नैनीताल डीएम ने दुकानों की जांच के लिये प्रशासनिक अफसर लगाए
एक सहायक आबकारी आयुक्त शराब कारोबारी के फार्म हाउस मे रह रहे।
सेनेटाइजर बेचने वाले साहब का खेल
अब नया कांड एक साहब के सेनेटाइजर मुख्यालय देने के बजाए बेंचने की चर्चायें है। गढवाल मंडल के एक अहम जिले में तैनात इस खाए पीए डीईओ ने फैक्ट्रियो में जाकर जाकर समाज सेवा के नाम पर सेनेटाइजर बटोरे एक फैक्ट्री से तो 1200 सेनेटाइजर लिये गये घुमा फिराकर बिल भी ले लिये और अपने ही जिले के मेडिकल स्टोर को बेचकर पैसा एकठ्ठा कर लिया।
प्रदेश के एक बड़े जिले में एकाएक आई सेनेटाइजर की बिक्री में आई अधिक मांग को देखते हुये एक कंपनी ने फाइल चलाई और अधिक अधिक ईएनए की मांग की थी। ऐसी चर्चा है कि 22 मार्च को आई फाइल काफी समय तक लंबित रखी गई कारण वही पुराना दबाव बनाने का था। लिहाजा सेनेटाइजर ही निकले और नगद नारायण करा दिये गये।
महामारी के काल में जहाँ लोगो के रोजगार संमाप्त हो चुके है रोटी रोजी राशन के लाले है भविष्य में नौकरियों का क्या होगा पता नही है।ये सेनेटाइजर अलग अलग चार कंपनियों से लिये गये है ऐसा बताया जा रहा है। ये किसी जरूरतमंद तो दूर विभाग के लोगों को ही देखने को नसीब नही हो सके है। सूत्र ये भी बताते है कि मामले की शिकायत संबंधित जिलाधिकारी कार्यालय में भी मौखिक तौर पर की गई है। आबकारी मुख्यालय के जिम्मेदार अधिकारी भी बेहद शर्मिंदा स्थिति में है।
इससे गिरी हरकत नही हो सकती जहाँ लोग सेनेटाइजर से लेकर मास्क के लिये परेशान है गरीबों के पास पैसे नही है। इस संक्रमण काल में भी सलाहकार के वसूली भाई जमकर पैसे पर हंटर चलाकर अपनी तिजोरी भर रहे है।
शराब कारोबारी के फार्म पर आराम फरमा रहे साहब
प्रदेश के एक बडे जिले के सहायक आबकारी आयुक्त इन दिनों एक शराब कोराबारी के फार्म हाउस पर आराम फरमा रहे है। सूत्र बताते है कि साहब के आराम फऱमाने की असल वजह घाटा बताया जा रहा है। जिले में स्थित एक कंपनी में इनकी व इनके रिश्तेदारों की नजदीकी बताई जाती है। विवादित और घोटालेबाज इस कंपनी की कलाकारी से कलाकार साहब भी नही बच सके। कंपनी के घोटाले की कलाकारी डीईओ साहब पर भी गिर गई है। कंपनी संचालको ने खुद को घाटा बता दिया लिहाजा हिस्सेदारी साहब की भी प्रभावित हुई । बताया जाता है कि ये कंपनी के लोगों के साथ साथ मिलकर हिसाब किताब जांच रहे है।
सीएम कार्यालय संज्ञान क्यों नही ले रहा है !
कभी बहुगुणा सरकार में आई आपदा में हुई तमाम अनियमितित्ताओं पर दहाडें मारने वाली भाजपा सरकार के राज में ये कोरोना भी किसी आपदा काल से काम स्थिति को लेकर नही आया है। ऐसे में अगर सिर्फ और सिर्फ आबकारी विभाग में शिकायतें आ रही है फिर जांच और एक्शन का कहीं से कोई संकेत न आना मौन सहमति की ओर इशारा कर रहा है। राज्य में पहली बार आबकारी मुख्यालय के सामने शासन व बड़े अफसर इतने कमजोर दिख रहे है शायद ही कभी ऐसा हुआ होगा।