वरिष्ठ पत्रकार उमेश कुमार व चंद पत्रकारों के खिलाफ उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत के राज में फर्जी राजद्रोह का मुकदमा कायम हुआ और इस मुकदमे को नैनीताल उच्च न्यायालय ने एक सिरे से खारिज कर त्रिवेन्द्र रावत के खिलाफ सीबीआई जांच के आदेश दिये थे|
जिसके बाद त्रिवेन्द्र रावत सीबीआई जांच को रूकवाने के लिए देश की सर्वोच्च न्यायालय में पहुंचे| जहां यह मामला अभी विचाराधीन है। उमेश कुमार के खिलाफ साजिश में चारो खाने चित होने वाले कुछ राजनेताओं ने राज्य के चंद अफसरों व कुछ गुलाम मीडिया के सहारे उमेश के खिलाफ एक बार फिर बडी राजनीतिक साजिश रचकर नेपाल के एक व्हाट्सएप नंबर से एक वीडियो को व्हाट्सएप पर सेंड किया जा रहा है|
लेकिन उमेश के खिलाफ साजिश रचने वाले खुद ही अपने जाल में फंस गये | क्योंकि जिन दो वीडियो को सेंड किया जा रहा है, उसे डब कर खेल तो खेला गया लेकिन षड्यंत्रकारी अपने ही जाल में फंस गए और जिस तरह से एक ही वीडियो में दो तरह की बातचीत सामने आई है उससे षड्यंत्रकारी अपने ही चक्रव्यूह में फँस गये।
देखिये दोनों वीडियो:-
गजब की बात तो यह है कि, जिस हिन्दी खबर के सम्पादक ने त्रिवेन्द्र राज में हो रहे भ्रष्टाचार व घोटालों को लेकर पूर्व सीएम को राज्य की जनता के सामने बेनकाब करना शुरू किया था| तो सम्पादक को भी चंद राजनेताओं व उनके करीबियों ने अपने निशाने पर लेना शुरू कर दिया था। हर तरफ हार का मुंह देखने और सोशल मीडिया पर उमेश कुमार द्वारा त्रिवेन्द्र रावत के कुछ करीबियों को जिस तरह से बेनकाब किया जा रहा था उसी के चलते नेपाल से उमेश कुमार व अतुल अग्रवाल के खिलाफ साजिश का खेल खेला गया|
इस खेल को खेलते हुए खुद ही षडयंत्रकारियों का सिंडिकेट अपने जाल में फंस गया और चर्चा है कि, उमेश कुमार ने षडयंत्रकारियों के खिलाफ दिल्ली में मुकदमा भी दर्ज करा दिया है| जिससे सम्भावनाएं व्यक्त की जा रही है कि, आने वाले कुछ समय में ही वो सब षड्यंत्रकारी बेनकाब हो जायेंगे| जिन्होंने उमेश कुमार के खिलाफ फर्जी वीडियो का सहारा लेकर उन्हें बदनाम करने की साजिश रची है।
त्रिवेन्द्र रावत के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद उमेश कुमार ने पूर्व मुख्यमंत्री के करीबियों के द्वारा खरीदी गई जमीनों को लेकर जब सोशल मीडिया पर इन्हें आईना दिखाना शुरू किया, तो उससे त्रिवेन्द्र रावत खेमे में भूचाल मच गया और उच्च न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट में उमेश कुमार जब बेदाग निकले तो उनके खिलाफ एक बडा राजनीतिक षड्यंत्र रच दिया गया|
चर्चा है कि, इस षड्यंत्र का ताना बाना नेपाल से बुना गया है और उसमें उत्तराखण्ड के कुछ राजनेता व अफसर भी शामिल होने की आशंकाएं हैं? हैरानी वाली बात है कि, साजिशकर्ताओं ने जो दो वीडियो नेपाल से एक नम्बर से उजागर करने का खेल शुरू किया हुआ है| लेकिन इस खेल में खुद साजिशकर्ता फस गये हैं क्योंकि एक ही वीडियो है और उसमें एक सही है और दूसरी को फर्जी तरीके से डब कर दिया गया| लेकिन साजिशकर्ता खुद ही इस वीडियो में अपने जाल में फंसते हुए दिखाई दे रहे हैं। चर्चा है कि, उमेश कुमार ने अपने खिलाफ हुई इस साजिश को लेकर दिल्ली पुलिस में षडयंत्रकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया है और ऐसी भी संभावना है कि जल्द वो चेहरे बेनकाब हो जायेंगे, जिन्होंने इस साजिश को अंजाम दिया है।
उल्लेखनीय है कि, उत्तराखण्ड में वर्षों से भ्रष्टाचार व घोटालों के खिलाफ पत्रकार उमेश कुमार ने भाजपा व कांग्रेस शासनकाल में उन सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को बेनकाब किया | जिनके राज में स्वच्छ प्रशासन देखने को नहीं मिल रहा था। यही कारण था कि, उमेश कुमार हमेशा से सभी सरकारों के पूर्व मुख्यमंत्रियों के निशाने पर रहे और उन्हें इसकी कीमत खुब चुकानी पडी, लेकिन उनके हौसले कभी भी नहीं डगमगाए और राज्य में मौजूद भाजपा की प्रचंड बहुमत की सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के कुछ करीबियों के भ्रष्टाचार को लेकर स्टिंग सामने आये और भ्रष्टाचार के यह स्टिंग देश की जनता ने भी देखे| जिससे तिलमिलाये उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के इशारे पर पुलिस के कुछ अफसरों ने उमेश कुमार के खिलाफ राजधानी में फर्जी मुकदमें दर्ज कराने का प्रपंच रचा और उन्हें गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया गया|
और तो और त्रिवेन्द्र रावत के रांची में करीबी रहे अमृतेश चौहान ने उमेश कुमार के खिलाफ फर्जी राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कराया था | जिसमें उमेश कुमार को रांची जेल पहुंचाया गया था। उमेश कुमार के खिलाफ दर्ज हुये फर्जी मुकदमों में उच्च न्यायालय व सुप्रीम कोर्ट से त्रिवेन्द्र रावत व उनकी टीम को हमेशा कड़ी फटकार लगी और मौजूदा दौर में नेहरू कालोनी में दर्ज किये गये फर्जी राजद्रोह का मुकदमा खारिज कर नैनीताल उच्च न्यायालय ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत के खिलाफ सीबीआई जांच कराने के आदेश दिये थे|
जिससे घबराकर त्रिवेन्द्र रावत सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे और यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। इसी बीच उमेश कुमार ने जिस तरह से सोशल मीडिया पर त्रिवेन्द्र रावत व उनके करीबियों को बेनकाब करने का अभियान चला रखा है उसी का परिणाम है कि, उमेश कुमार के खिलाफ नेपाल से साजिश रच दी गई।