आजकल गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर अपने नित नये फरमानों के कारण चर्चाओं मे है। जांच एजेंसियों के काम मे रोड़ा अटकाने के बाद कुलसचिव ने बाहरी व्यक्तियों परिसर मे प्रवेश पर रोड़ा अटका दिया था। अब व्यापक विरोध के बाद उन्हे रोल बैक करना पड़ा।
पहले जारी आदेश
गढ़वाल विश्वविद्यालय के कुुुुलसचिव ने अपने अजीबोगरीब आदेश में लिखा था कि विश्वविद्यालय के किसी भी अनुभाग कार्यालय में बाहरी व्यक्ति उपस्थित ना रहे जबकि विश्वविद्यालय एक सार्वजनिक संस्थान है यहां पर सेवानिवृत्त कर्मचारी अपने विभिन्न कार्यों के लिए आते हैं साथ ही यहां अध्ययनरत छात्रों के अभिभावक भी या पूर्व में यहां से अध्ययन कर चुके छात्र अपने विभिन्न प्रमाण पत्रों के लिए यहां समय-समय पर पहुंचते हैं। कुलसचिव के इस आदेश से इन सभी को परेशानी हो सकती थी।
बाद मे जारी आदेश
कुलसचिव के इस फरमान का व्यापक विरोध शुरू हो गया इससे उन्होंने अपने फरमान को थोड़ा सा संशोधन के साथ जारी किया नए फरमान में उन्होंने लिखा है कि 21 सितंबर 2019 को सेवानिवृत्त कर्मचारी प्रतिनिधियों से हुई वार्ता के क्रम में स्पष्ट करना है कि अब मुख्य गेट पर समस्त बाहरी व्यक्तियों द्वारा इंट्री के उपरांत ही प्रशासनिक भवन में प्रवेश व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।
हालत यह हो गई है कि अपने अजीबोगरीब निर्णयों के कारण विश्वविद्यालय प्रशासन अब अपने ही बुने जाल में फंस गया है। केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति भी काफी दबाव में बताई जा रही है।
यहां तक कि छात्रों की कुछ परीक्षाओं को लेकर दोहरे मानकों को अपनाए जाने के बाद कुलपति छात्र नेताओंं से मिलने तक से कतरा रहे हैैं।