एक तरफ देहरादून में उपनल महासंघ का सचिवालय कूच था तो वहीं दूसरी तरफ ठीक उसी समय उत्तराखंड जल संस्थान के अनुरक्षण खंड के अधिशासी अभियंता राजेश निर्वाल 11 सुपरवाइजरों की सेवा समाप्ति का नोटिस टाइप कर रहे थे।
यह हाल तब है , जबकि उपनल कर्मचारी के बारे में सरकार पहले ही अपना स्टैंड साफ कर चुकी है कि उपनल से नियुक्त कोई कर्मचारी नहीं हटेगा और यदि कहीं बिना किसी वजह के कर्मचारियों को हटाया गया तो उसे पुनः समायोजन किया जाएगा।
सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी इस बारे में कई बार मीडिया में बयान दे चुके हैं। किंतु सैनिक कल्याण मंत्री का यह बयान केवल अखबारों की सुर्खियों में जुमलेबाजी तक सीमित है, क्योंकि उत्तराखंड जल संस्थान के अनुरक्षण खंड के अधिशासी अभियंता राजेश निर्वाल ने सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी का आदेश रद्दी की टोकरी में डाल दिया और 11 कर्मचारियों को सेवा समाप्ति का नोटिस थमा दिया।
राजेश निर्वाल ने अपने नोटिस में लिखा है कि 11 सुपरवाइजर उपनल के माध्यम से तैनात थे और विश्व बैंक पोषित अर्थ नगरीय क्षेत्र हेतु उत्तराखंड कार्यक्रम के अंतर्गत किया जा रहे काम की सेवा अवधि पूरी हो चुकी है इसलिए वे 30 नवंबर तक ही सेवा में रह सकते हैं। आदेश के अनुसार ,- “इस 1 दिसंबर 2024 से उनकी सेवा अवधि समाप्त की जाती है।”
इन कर्मचारियों की सेवाएं हुई है समाप्त
सूरज राणा, अंकित नेगी, रविंद्र सिंह नेगी, सूरज प्रसाद कांति, संदीप कनवासी, अमित सिंह नेगी, आकाश पांडे, अजय कुमार, पूजा बग्याल, शुभम सेमवाल तथा प्रकाश चंद्र।
यह सभी उत्तराखंड जल संस्थान ऋषिकेश देहात में उपनल के माध्यम से सुपरवाइजर के पद पर विश्व बैंक पोषित योजना में तैनात थे।
हकीकत यह भी है कि अभी तक यह योजना भी बंद नहीं हुई है। इस योजना में अभी भी कार्य चालू है। किंतु एक तरफ सैनिक कल्याण मंत्री का बार-बार बयान और दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट भी उपनल कर्मचारी को नियमित करने का फाइनल आदेश जारी कर चुका है। किंतु इस सब के बावजूद उत्तराखंड जल संस्थान के लिए ना तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश मायने रखते हैं और ना ही सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी तथा उत्तराखंड सरकार के आदेश।
जाहिर है कि इस तरह के अफसर उपनल कर्मियों के साथ संवेदनशीलता का कदम उठाने के बजाय सरकार की छवि खराब करने वाले कार्य कर रहे हैं।
उत्तराखंड जल संस्थान के इस एकतरफा फरमान से कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है।
यह आदेश भी ऐसे समय में तैयार किया गया है, जबकि सभी उपनल कर्मचारी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करने की मांग को लेकर आज बड़ी संख्या में सचिवालय कूच कर रहे थे।
गौर तलब है कि यदि उत्तराखंड जल संस्थान इन कर्मचारियों के प्रति संवेदनशील होता तो उन्हें अन्यत्र प्रोजेक्ट में भी सेवा आयोजित अथवा समायोजित करने का कार्य कर सकता था, किंतु संभवत उत्तराखंड जल संस्थान अपने प्रोजेक्ट में इनको हटाकर कुछ नए कर्मचारियों को भर्ती करना चाहता है। ऐसी आशंका से इन कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है।