कृष्णा बिष्ट
उत्तराखंड के छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में हाईकोर्ट ने एसआईटी को एक बार दोबारा से लताड़ा है।
एसआईटी के जवाब से बेहद असंतुष्ट हाईकोर्ट ने अब 30 सितंबर तक रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
हाईकोर्ट ने एसआईटी के अधिकारी पीसी मंजूनाथ और संजय गुंज्याल को समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों पर लगे आरोपों के कारण फटकार लगाई।
गौरतलब है कि भाजपा नेता तथा राज्य आंदोलनकारी रविंद्र जुगरान ने एक जनहित याचिका दायर करके कहा था कि समाज कल्याण विभाग में करोड़ों का घोटाला हुआ है।
तब पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने ही इस मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित करके तीन महीने में रिपोर्ट देने को कहा था, किंतु हरीश रावत के बाद त्रिवेंद्र सरकार आते ही त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जीरो टोलरेंस की नीति का प्रचार प्रसार करने के लिए इस मामले में अफसरों को लपेटना शुरू कर दिया जबकि छात्रवृत्ति घोटाले में सीधी सीधी जिम्मेदारी कॉलेजों की थी।
इस मामले में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह और तत्कालीन अपर मुख्य सचिव समाज कल्याण रणवीर सिंह ने भी समाज कल्याण विभाग के अफसरों का इसमें कोई हाथ न होने का हवाला देते हुए हाईकोर्ट में भी शपथ पत्र पेश किया था और स्पष्ट किया था कि इसमे काॅलेज सीधे तौर जिम्मेदार हैं।
लेकिन राज्य सरकार के इशारे पर काम कर रही एसआईटी का दुराग्रह जारी रहा। सरकार का एजेंडा कुल इतना था कि यदि कुछ अफसरों को पकड़कर जेल में डाल दिया जाए तो शायद सरकार के ऊपर से निकम्मे पन का दाग हट जाएगा और ऐसा संदेश जाएगा कि सरकार जीरो टोलरेंस के खिलाफ काम कर रही है।
जबकि हकीकत यह है कि देहरादून में भाजपा नेताओं के कई कॉलेज हैं, जहां पर छात्रवृत्ति घोटाला हुआ है लेकिन एसआईटी ने देहरादून के कॉलेजों की तरफ अभी झांककर तक नहीं देखा है। जैसे ही छात्रवृत्ति घोटाले की आंच भाजपा के बड़े दिग्गज नेताओं के कॉलेजों की तरफ पहुंची तो सरकार ने अप्रत्याशित ढंग से एसआईटी को लगाम ढीली करने का इशारा कर दिया। जिसका परिणाम यह हुआ कि एसआईटी को हाईकोर्ट में लताड़ खानी पड़ी।
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक गीताराम नौटियाल की गिरफ्तारी न करने के लिए एसआईटी को निर्देश दिए हैं। इस मामले पर भी 30 सितंबर को ही सुनवाई होगी।