उत्तराखंड में भले ही उत्तराखंड सरकार ढीली ढाली चल रही हो, लेकिन हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के नक्शे कदम पर चलते हुए अपने वरिष्ठ अधिकारी राजीव कुमार को जबरन सेवानिवृत्ति दे दी है।
राजीव कुमार को कामकाज मे लापरवाही और रिजल्ट न देने के कारण रिटायर किया गया। 50 साल के राजीव कुमार को रिटायर करने की सिफारिश उत्तराखंड शासन को भेजी गई थी।
यहां से यह रिपोर्ट राज्यपाल की मंजूरी के बाद अपर मुख्य सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी ने राजीव कुमार को रिटायरमेंट दे दी।
इसी महीने 30 तारीख को रिटायर होने जा रहे राजीव कुमार का यह मामला उत्तराखंड का पहला मामला है। 2003 के न्यायिक अधिकारी राजीव कुमार हरिद्वार जिले रुड़की निवासी हैं।
उत्तराखंड सरकार अभी भी विभागों से कर्मचारियों की लिस्ट ही मंगा रही है। हाई कोर्ट अपने इस कदम से राज्य सरकार से दो कदम आगे निकल गया है।
उत्तराखंड सरकार भले ही जीरो टोलरेंस के जुमले की आड़ में अपनी नाकामी छुपाने की कोशिश कर रही हो लेकिन हकीकत यही है कि ऐसे कई भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी हैं, जिनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति अभी तक राज्य सरकार ने नहीं दी है।
जब सरकार अभी तक तमाम शिकायतों के बावजूद भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्यवाही तक नहीं कर सकी है, ऐसे में मात्र लापरवाही के आरोप पर अधिकारियों को जबरन रिटायर करने से वे हाई कोर्ट का भी रुक कर सकते हैं, जिसमें सरकार की फिर फजीहत होनी तय है।