हलदुखाल में खस्ताहाल अदवारी प्राथमिक विद्यालय। दे रहा बड़ी दुर्घटनाओं को न्योता
रिपोर्ट- इंद्रजीत असवाल
पौड़ी। मुख्यमंत्री उत्तराखंड के गृह जनपद पौड़ी गढ़वाल के लैंसडाउन विधानसभा क्षेत्र के नैनीडांडा ब्लॉक के ग्राम अदवारी हल्दुखाल के प्राथमिक विद्यालय की आज हम आपको कुछ तसवीरें दिखा रहे हैं, ये तस्वीरे आपको उत्तराखंड के पहाड़ो में हुये विकास की हकीकत दिखा रही है। उत्तराखंड के पौड़ी व अल्मोड़ा जनपद में सबसे ज्यादा पलायन हुआ है। जिसका मुख्य कारण शिक्षा ही है। सरकार शिक्षा के नाम पर करोड़ो खर्च कर रही है, परन्तु जमीनी हकीकत कुछ और ही है। जिन विद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या अधिक है वहाँ भवन जीर्ण सीन अवस्था में है, जहाँ पर विद्यार्थियों की संख्या न के बराबर है वहाँ पर सरकार नए भवन बना देती है।
सभी जानते पिछले कुछ सालों मे उत्तराखंड के पहाड़ी जनपदों में विधार्थियों के अभाव के कारण बहुत से सरकारी स्कूल बंद हो चुके हैं। यहाँ जो तस्वीर आप देख रहे हैं ये प्राथमिक विधालय अदवारी हल्दुखाल की हैं। जहां आज 1 से कक्षा 5 तक कुल 28 बच्चे हैं। लेकिन इस विद्यालय की छत बुरी तरह से बर्बाद हो चुकी है। उसके उपर पन्नी लगा कर बड़े-बड़े छेद छुपाये गए हैं। अंदर से छत से सूरज की धूप उसमें पड़े छेदों से क्लास रूम में आ रही है। छत से सूर्य और नीचे से सीलन साफ दिखाई दे रहा है, जो काफी डरावना है। नीचे क्लास रूम मे बैठे 3 से 10 साल तक के छोटे बच्चे इस अंजान खतरे से अनजान है।
अब बात यह है कि, क्या सरकार व यहाँ के जनप्रतिनिधि इस इंतजार में है कि, यहाँ पर कोई बड़ा हादसा हो और तब इस विद्यालय का भवन बने हमने कुछ उन लोगो से बात की है कि, जो यहाँ से 2022 का चुनाव लड़ना चाहते हैं या फिर यहाँ के जनप्रतिनिधि है आपको उनके स्टेटमेंट से भी अवगत कराते हैं। इस मामले में लैंसडौन के विधायक से बात करनी चाही तो उन्होंने फोन नही उठाया।
विद्यालय की हालत खराब है कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है। मैंने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से इस मामले में बात की है कि, जल्द विद्यालय की मरमत करवाई जाय, व लैंसडाउन के विधायक महंत दिलीप सिंह रावत व भाजपा जीरो टॉलरेंस की बात करती है। शिक्षा स्वास्थ्य का ढिढोरा पीटती है और जमीनी हकीकत कुछ और ही है। आखिर सरकार व विधायक कब जागेंगे जब कोई बडी दुर्घटना होगी।- कांग्रेस नेता दीपक भण्डारी लैंसडाउन विधानसभा व ब्लॉक प्रमुख ज़हरीखाल
आज उत्तराखंड के नैनीडांडा ब्लाॅक के हल्दूखाल के प्राइमरी स्कूल की तस्वीर जो मीडिया द्वारा प्रसारित की गई है, उत्तराखंड सरकार की शिक्षा के प्रति संवेदनहीनता का ज्वलंत उदाहरण है और यह हालत केवल हल्दूखाल की ही नही बल्कि नैनीडांडा की 60%से अधिक प्राथमिक विद्यालयों की है और कमोवेश यही हालत प्रदेश के सभी क्षेत्रों की है। ऐसी तस्वीरें कोरोना काल में प्रवास से लौटे हमारे स्वजनों के लिए प्राथमिक विद्यालयों में बनाये गये क्वारंटाइन केंद्रों की सोशल मीडिया में खूब वाइरल हुई थी।
रानीखेत के पास एक क्वारंटाइन केंद्र में तो एक बच्ची को सांप ने डस लिया था, जिस कारण उसकी मृत्यु हो गई थी। पर सरकार ने उस घटना से भी कोई सबक नहीं लिया। अपनी नाकामी को छुपाने के लिए किसी माफिया से स्कूलों का सौदा करने की सोच रही है। यह स्थिति इसलिए है कि, किसी मंत्री, विधायक, जन प्रतिनिधि के बच्चे सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में नहीं पढ़ते। गरीब और असहाय परिवारों के बच्चे ही इन विद्यालयों में पढ़ने आते हैं। जब तक सभी जनप्रतिनिधियों व सरकारी नौकरशाहों के बच्चे इन स्कूलों मे नहीं पढ़ने जायेंगे तब तक न तो इनकी हालात में सुधार होगा न ही शिक्षा के स्तर में सुधार है। जरूरत है व्यवस्था में परिवर्तन की जो केवल क्षेत्रीय दल ही कर सकता है।- इंजीनियर आनंद प्रकाश जुयाल, केंद्रीय कार्यकारी अध्यक्ष, यूकेडी