कोटा से लौटकर उत्तर प्रदेश गई एक छात्रा कोरोना पॉजिटिव पाई गई थी, इसके बावजूद राजस्थान कोटा से उत्तराखंड में लौटे 411 छात्रों का कोरोना रैपिड टेस्ट नहीं किया गया।
मथुरा में केवल थर्मल टेस्ट कराने के बाद एसडीआरएफ ने पाया कि उनमें कोरोना के लक्षण नहीं है, इसलिए उन्हें होम क्वॉरेंटाइन के लिए भेज दिया गया। उत्तराखंड सरकार के पास 4800 रैपिड टेस्ट किट उपलब्ध हैं। कोरोना संक्रमण बाहुल्य चार जनपदों को एक-एक हजार किट दी गई हैं तथा 800 किट मुख्यालय में रखी हुई है। इसके बावजूद स्वास्थ्य निदेशालय ने इनका उपयोग नहीं किया।
राजस्थान से छात्रों को लाने वाली 39 सदस्यों की टीम को भी इंस्टीट्यूशनल क्वॉरेंटाइन कर दिया गया है। एसडीआरएफ का कहना है कि टेस्ट कराने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग की है। एसडीआरएफ की कमांडेंट तृप्ति भट्ट का कहना है कि “एसडीआरएफ ने छात्रों का मथुरा से थर्मल टेस्ट कराया था और उनको कोई लक्षण नहीं मिले, किंतु रैपिड टेस्ट कराने का काम स्वास्थ्य विभाग का है।”
स्वास्थ्य महानिदेशक अमिता उप्रेती को इस पर अब जवाब देते नहीं बन रहा। यदि एक भी छात्र को रोना पॉजिटिव निकला तो स्वास्थ्य विभाग से जवाब देते वाकई नहीं बनेगा।
आखिर जब राजस्थान से आए इन छात्रों पर रैपिड टेस्ट नहीं किया गया तो फिर यह टेस्ट के किस समय के लिए रखी गई हैं !