सागर शर्मा
देहरादून। बेटी पढ़ाओं-बेटी बचाओ का नारा देते हुए भाजपा सरकार आवाम के बीच यह संदेश देने की कोशिश में जुटी हुई है कि उसे बेटियों की कितनी चिंता है।
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हालांकि उत्तराखण्ड की एक बेटी जो पिछले लंबे समय इंसाफ की गुहार लगा रही है लेकिन उसको आज तक इंसाफ नहीं मिला जो इस ओर इशारा कर रहा है कि उत्तराखण्ड में बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ का नारा दफन हो चुका है?
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मानवता को काफी हद तक शर्मसार कर देने वाला एक नजारा कल राजधानी दून में उस समय देखने को मिला जब एक महिला आंखों में आंसू, गोद में दूधमुंही बच्ची को लेकर अपने परिवार के साथ मुख्यमंत्री से मिलने पंहुची तो पुलिस ने उसे व उसके परिवार को उठाकर जबरन कैंट थाने में बैठा दिया। सवाल उठता है कि आखिर उस महिला और उस दूधमुंही बच्ची का कसूर क्या था, सिर्फ इतना ही कि वह इंसाफ की गुहार लगाने के लिए प्रदेश के मुखिया दरवाजे पर पंहुची थी?
इसे निर्दयता की इंतहा ही कहेंगे कि पुलिस अपनी खाकी का रौब एक अबला नारी और उसकी में गोद में बैठी वह मासूम बच्ची जिसके मुख से अभी तक बोल भी नहीं फूटे है उनपर गालिब करती हुई नजर आई? सरकार के गुड बुक में एंट्री कराने की चाहत संभवतः हर थाने की पुलिस रखती है लेकिन निर्दयता की हदों को पार करके ऐसा करना कहां तक सही है?
वहीं पीड़ित महिला ने जो संगीन आरोप पुलिस व सत्ता के एक विधायक पर लगाए है वह कहीं न कहीं डबल इंजन सरकार के लिए भी चिंता का विषय बन सकते है?
उल्लेखनीय है कि आखों में आँसू और इंसाफ पाने हरिद्वार जिले से एक परिवार राजधानी देहरादून के अधिकारियों के चक्कर लगा रहा है मामला सामूहिक दुष्कर्म का है।
पीड़िता का आरोप है कि साल 2019 जून में पीड़िता को 1 महीने तक आरोपियों द्वारा बंधक बनाकर उसके साथ सामुहिक दुष्कर्म किया गया है लेकिन 7 से 8 महीने बाद भी इंसाफ न मिलने पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से जब महिला शिकायत करने पहुँची तो शिकायत से पहले ही उनको कैंट पुलिस द्वारा पुलिस जीप में बिठा कर थाने ले जाया गया उन्होंने आरोप लगाया कि थाना पथरी की मिलीभगत से मामले में कोई भी कार्रवाई नही की जा रही है।
हाथ मे छोटी बच्ची लिए पूरा परिवार दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर है और लगातार इंसाफ की गुहार लगा रहा है पीड़िता का कहना है कि दुष्कर्म होने के बाद उसने एक बच्ची को जन्म दिया है वही मामले पर कोई सुनवाई न होने के चलते पीड़ित महिला ने मीडिया से रूबरू होते हुए बताया कि उनके परिवार को केस को वापस लेने के लिए लगातार धमकाया जा रहा है।
पीड़िता का कहना है की मामले में एक आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार किया है लेकिन अन्य आरोपियों सत्ता के विधायक यतीश्वरानंद का संरक्षण मिला हुआ है और यही कारण है कि अन्य आरोपियों को गिरफ्तार करने में पुलिस आज भी असमर्थ है।
वहीं मामले पर आरोपियों की गिरफ्तारी न होने से पुलिस की कार्रवाई पर भी सवालिया निशान लगना लाजमी है।
दूसरी तरफ महिला ने हरिद्वार के भाजपा विधायक यतीश्वरानंद पर भी निशाना साधा है और आरोपियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है, अब ऐसे में देखने वाली बात होगी कि राजनैतिक दबाव होने के बावजूद मामले में महिला को इंसाफ दिलाने के लिए पुलिस आगे क्या करेगी यह बहुत ही महत्वपूर्ण रहेगा।