चंदोला ने बताया कि, राणा द्वारा पंचायती राज अधिनियम 2018 का उल्लंघन व वित्तीय अनियमितता की गई है| जिसके सबूत और पूरी जानकारी चंदोला ने साझा की।
महेंद्र राणा जिसका नाम पौड़ी जिले के कल्जीखाल ब्लॉक के ग्राम चोपड़ा की मतदाता सूची में दर्ज था| जिसके आधार पर वो क्षेत्र पंचायत बिलखेत से 2008 से क्षेत्र पंचायत सदस्य निर्वाचित हो रहा था व बाद में ब्लॉक प्रमुख पद पर भी निर्वाचित हो रहा था।
राणा द्वारा 24/6/2019 को सहायक निर्वाचन अधिकारी कल्जीखाल को ग्राम चोपड़ा की ग्राम पंचायत मरोड़ा के वार्ड क्रम 7 से नाम हटाने का एक प्रार्थना पत्र दिया गया। उसके बाद 26/6/2019 को राणा द्वारा द्वारीखाल में नाम जोड़ने का एक प्रार्थना पत्र द्वारीखाल में भी दिया गया।
कल्जीखाल ब्लॉक में निर्वाचन अधिकारी द्वारा सुनवाई करते हुए 28/6/2019 को महेंद्र राणा को उसी दिन 10 बजे सुबह ही कार्यालय आने व नाम हटाने संबंधी आवश्यक कार्रवाई करने का पत्र दिया गया।
सोचिए 28 को पत्र भेजा गया 10 बजे ऑफिस खुलता है, फिर अधिकारी आते हैं, फिर उसी दिन उसे सुबह 10 बजे बुलाया जाता है और राणा आ भी जाता है।
यह सीधे सीधे कर्मचारियों के साथ राणा की मिली भगत का असर है वरना सुबह 10 बजे ऑफिस खुलता है और 10 बजे ही पत्र जारी कर उसी दिन सुबह 10 बजे किसी भी व्यक्ति को कैसे बुलाया जा सकता है।
चंदोला ने कहा कि, इस मामले में सरकार को संज्ञान लेना चाहिए।
नमन चंदोला ने बताया कि,इसके बाद कल्जीखाल से नाम काटकर उसी दिन (28/6/2019) शक्तिमान की तरह राणा पत्र लेकर द्वारीखाल पहुंचा और वहां अपना नाम चढ़ा लिया।
चलिए अनोखी शक्तियों के साथ ये सब काम हुआ अच्छी बात है काश इतनी तेजी किसी आम आदमी के कार्यों में आती तो बात ही कुछ और थी।
चंदोला ने पंचायती राज अधिनियम समझाते हुए कहा कि, उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम 2016 की धारा 53 क्षेत्र पंचायत की सदस्यता के लिए अहर्ता 53(4) जिसमें सदस्यता का न रह जाना शामिल है|
(एक) क्षेत्र पंचायत का कोई सदस्य उस पंचायत का सदस्य नहीं रह जाएगा, यदि उस सदस्य से संबंधित प्रविष्टि छेत्र पंचायत के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली से निकाल दी जाए।
मतलब साफ है 28/6/2019 को ही राणा क्षेत्र पंचायत सदस्य नहीं रह गया था और जब सदस्य ही नहीं रहा तो ब्लॉक प्रमुख भी नहीं रहा।
मगर खेल देखो 28/6/2019 को द्वारीखाल में नाम चढ़ाने के बाद राणा 8/8/2019 को वापस कल्जीखाल आकर लाखों की पेमेंट डिजीटली करवाता है| इसमें स्थानीय प्रशासन की भी पूरी मिलीभगत थी| जिस कारण इस मामले को उन्होंने दबा कर रखा।
जब राणा ब्लॉक प्रमुख ही नहीं रहा तो फिर किस हैसियत से 8 अगस्त 2019 को लाखों की डिजिटल पेमेंट उसके द्वारा की गई।
यह वित्तीय अनियमितता का बहुत बड़ा मामला है।
और राणा का ब्लॉक प्रमुख नियम अनुसार न रहने के बावजूद लाखों की पेमेंट करवाना कानूनन अपराध है।
इस मामले में यदि जीरो टॉलरेंस सरकार कार्यवाही करे तो द्वारीखाल का प्रमुख पद भी खोना होगा राणा को।
इसलिए मेरा अनुरोध है स्थानीय प्रशासन से और माननीय मुख्यमंत्री जी से की उपरोक्त मामले का संज्ञान लें।
माननीय मुख्यमंत्री महोदय को उपरोक्त फर्जीवाड़े के दस्तावेज उपलब्ध करा दिए गए हैं और मुझे पूरी उम्मीद है कि, भ्रष्टाचार को मिटाने और अपनी बेदाग छवि को देखते हुए माननीय मुख्यमंत्री जी जल्द इस मामले में बड़ा कदम उठाएंगे।