पिछले कार्यकाल से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके मंत्री और संगठन के अति उत्साही लोग जोर-शोर से डिजिटल इंडिया का गाना गा-गाकर भारतवर्ष के लोगों के कान फोड़ रहे हैं। कभी ऑनलाइन बैंकिंग के माध्यम से डिजिटल इंडिया की बात की गई। कभी ई-पेमेंट, भीम एप जैसे आधुनिक एप की बात हुई। उसके बाद मन की बात कार्यक्रम, नमो एप भी आया। जिसमें पूरे देश को जोडऩे की बात हुई। भारतीय जनता पार्टी के बूथ लेबल के कार्यकर्ता से लेकर पन्ना प्रमुख को डिजिटल इंडिया की कहानियां सिखाई गई। फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्ट्राग्राम, ट्वीटर पर भारतीय जनता पार्टी के प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री हर दिन डिजिटल इंडिया का नारा सुनाते देखे जा सकते हैं।
भारतीय जनता पार्टी का यह डिजिटल इंडिया का नारा कितना धरातल पर उतरा, इसका खुलासा खुद भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्षों से लेकर मंडल अध्यक्ष तक कर रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी ने अब सीएए और एनआरसी के संबंध में देशभर में जो अभियान चलाया हुआ है, वह डिजिटल इंडिया के माध्यम से धरातल पर नहीं उतर पा रहा है।
उत्तराखंड में तो नौटंकी इस लेबल की हुई कि पहले विधानसभा की कार्यवाही को पैनड्राइव में बांटा गया। कुछ दिन मंत्रियों को बाकायदा डिजिटल होने की टे्रनिंग दी गई, किंतु कहीं भी कुछ भी धरातल पर नहीं उतरा।
अब भाजपा ने तय किया है कि देशभर के प्रत्येक पोलिंग बूथ से २०-२० पोस्टकार्ड सीएए और एनआरसी के पक्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे जाएंगे। सीएए और एनआरसी के बहाने ही सही, आखिरकार भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने खुद स्वीकार कर लिया है कि भारतवर्ष में उनका डिजिटल इंडिया का नारा खोखला साबित हो चुका है और इसलिए अब पोस्टकार्ड खरीदे जा रहे हैं।