बंटवारे के बाद एक ही राज्य में लिया जा सकता है आरक्षण
सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के मामले में अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि, राज्य बंटवारे के बाद आरक्षित श्रेणी में आने वाला व्यक्ति दोनों में से किसी भी राज्य में आरक्षण के लाभ का दावा कर सकता है, लेकिन यह दोनों राज्यों में आरक्षण का दावा नहीं कर सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के मामले में यह फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट का 24 फरवरी 2020 का फैसला रद्द कर दिया है। जस्टिस यूयू ललित और अजय रस्तोगी की पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं का निपटारा करते हुए यह फैसला सुनाया।
कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत प्राप्त विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए झारखंड की राज्य प्रशासनिक सेवा परीक्षाओं पास करने के बावजूद नियुक्ति न पाने वाले पंकज कुमार की याचिका स्वीकार की और आदेश दिया कि, पंकज कुमार 2007 में निकले विज्ञापन संख्या 11 के मुताबिक तीसरी संयुक्त सिविल सर्विस परीक्षा 2008 में चयन और वरिष्ठता के साथ नियुक्ति की जाए।
इसके साथ ही कोर्ट ने झारखंड के उन 15 सिपाहियों की नौकरी भी बहाल करने का आदेश दिया, जिन्हें करीब 3 साल नौकरी। बने झारखंड में आरक्षण के लाभ का विवाद शामिल था।
वर्ष 2000 में बिहार राज्य को दो हिस्सों में बांट दिया था। एक राज्य बिहार और दूसरा नया राज्य झारखंड बना दिया गया था सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जो कर्मचारी एससी एचडी वर्ग के हैं, उनकी जाती या जनजाति संविधान के आदेश 1950 को बिहार पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 324 के तहत अधिसूचित है।
जो लोग ओबीसी वर्ग के हैं, उनके लिए अलग से ओबीसी वर्ग का नोटिफिकेशन निकला। उन्हें आरक्षण का लाभ मिलेगा उनके आरक्षण के हित विहार पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा तीन के तहत संरक्षित रहेंगे कोर्ट ने कहा इस अधिकार का दावा सरकारी नौकरी में किया जा सकता है। आरक्षित वर्ग में आने वाला व्यक्ति दो में से किसी भी राज्य चाहे बिहार या झारखंड के आरक्षण का लाभ पाने का हकदार है।