भाजपा सरकार मे गबन के दोषी अधिकारियों को बर्खास्त करने और वसूली करने के बजाए सरकार उन्हें अहम पदों पर तैनात कर रही है। इससे जीरो टोलरेंस की सरकार पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
ताजा मामला समाज कल्याण विभाग के भ्रष्ट अधिकारी को लेकर चर्चाओं में है।
समाज कल्याण विभाग के सहायक निदेशक कांति राम जोशी वर्ष 2010 से 2013 तक टिहरी जिले में समाज कल्याण अधिकारी के पद पर तैनात रहे। इनके द्वारा कल्याण शिविर/ सेमिनारों के आयोजन हेतु प्राप्त धनराशि का गबन कर लिया गया था।
इस संबंध में इनको आरोप पत्र देकर मुख्य विकास अधिकारी टिहरी को जांच अधिकारी बनाया गया था। जांच रिपोर्ट के आधार पर शासन द्वारा कांति राम जोशी के विरुद्ध सात लाख 420 रुपये की धनराशि के गबन का दोषी पाया गया तथा गबन की गई धनराशि को कांति राम जोशी से वसूली करने के संबंध में पहले तत्कालीन अपर मुख्य सचिव द्वारा 26 मार्च 2019 को वसूली की कार्यवाही करने के आदेश दिए गए थे तथा 5 नवंबर 2020 तथा 21 जनवरी 2021 को सचिव समाज कल्याण एल फैनई द्वारा कांति राम जोशी से गबन की धनराशि की वसूली करते हुए शासन को अवगत कराने के लिए आदेश दिया गया था। परंतु निदेशक समाज कल्याण की मिलीभगत से यह वसूली आज तक तीन साल से अधिक समय व्यतीत होने के बावजूद नहीं की गई है।
तकाजा तो यह है कि जब भी किसी अधिकारी के खिलाफ गबन का आरोप सिद्ध हो जाता है तो उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया जाता है, किंतु इस अधिकारी की बर्खास्तगी तो दूर की बात है, इनके द्वारा गबन की गई धनराशि की भी वसूली नहीं की गई है।
समाज कल्याण सचिव द्वारा तीन-तीन बार पत्र लिखने के बावजूद निदेशक महोदय शासन का आदेश मानने को तैयार नहीं है।
विभागीय जांच में गबन का दोषी पाए जाने के बावजूद इनसे धनराशि की वसूली न किया जाना जीरो टोलरेंस की सरकार पर बड़ा तमाचा है।
सूत्रों के अनुसार कांति राम जोशी द्वारा टिहरी में तैनाती के दौरान फर्जी तरीके से छात्रवृत्ति वितरित करके बड़े पैमाने पर छात्रवृत्ति घोटाला किया गया है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड के एक याचिकाकर्ता एस.के. सिंह ने उत्तराखंड में छात्रवृत्ति घोटाले की जांच करने के लिए हाईकोर्ट मे जनहित याचिका दायर की थी।
हाईकोर्ट ने एस के सिंह की याचिका पर हरिद्वार और देहरादून को छोड़ कर शेष सभी जनपदों की जांच के लिए आदेश किए हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद टिहरी जिले में इन अधिकारियों के खिलाफ इस मामले में अभी तक कोई जांच या कार्रवाई नहीं हो पाई है।
इस तरह के बढते मामले सरकार की छवि को धूमिल कर रहे हैं।