एक और जहां उत्तराखंड इस ऑफ डूइंग बिजनेस में अब्बल स्थान पर आया है वहीं केंद्र सरकार की ताजा पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) रिपोर्ट ने उत्तराखंड के लिए एक झटका दिया है।
चालू वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में राज्य में बेरोजगारी दर 8.9 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो देशभर में सबसे ऊंची है।
यह आंकड़ा आंध्र प्रदेश (8.2%) और केरल (8%) से भी अधिक है। वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी दर 5.2 प्रतिशत पर स्थिर रही, जो पिछली तिमाही के 5.4 प्रतिशत से थोड़ी सुधरी है।
मंत्रालय ऑफ स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इम्प्लीमेंटेशन (MOSPI) द्वारा जारी PLFS क्वार्टरली बुलेटिन के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 4.4 प्रतिशत से घटकर 4.8 प्रतिशत हो गई, लेकिन शहरी इलाकों में यह 6.8 प्रतिशत से बढ़कर 6.9 प्रतिशत पर पहुंच गई। कुल मिलाकर, 15 वर्ष और इससे अधिक आयु के 133,901 घरों और 564,828 व्यक्तियों पर आधारित इस सर्वे में ग्रामीण-शहरी दोनों क्षेत्रों में सुधार के संकेत मिले, लेकिन उत्तराखंड जैसे राज्यों में चुनौतियां बरकरार हैं।
निवेश के दावों और हकीकत का फर्क: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार लगातार दावा कर रही है कि दिसंबर 2023 में आयोजित उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में 3.56 लाख करोड़ रुपये के निवेश के लिए एमओयू साइन हुए थे। सीएम धामी ने हाल ही में कहा था कि एक लाख करोड़ रुपये का निवेश ग्राउंडिंग हो चुका है, जिससे बड़ी संख्या में रोजगार सृजन हुआ है। लेकिन PLFS रिपोर्ट इन दावों पर सवाल खड़े करती है। आर्थिक टाइम्स की रिपोर्ट के हवाले से कहा जा रहा है कि यदि इतना निवेश ग्राउंडेड हो चुका है, तो बेरोजगारी दर क्यों चढ़ रही है? विशेषज्ञों का मानना है कि एमओयू से वास्तविक रोजगार सृजन में देरी हो रही है, और युवाओं में निराशा बढ़ रही है।
रिपोर्ट में लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट (LFPR) में भी वृद्धि दर्ज की गई है। पुरुष LFPR 77.3 प्रतिशत और महिला LFPR 33.7 प्रतिशत हो गया, जो पिछली तिमाही से क्रमशः 77.2 और 33.4 प्रतिशत था। मंत्रालय ने इसे “कंज्यूम्ड लेकिन मॉडेस्ट अपवर्ड मूवमेंट इन मार्केट” का संकेत बताया है, लेकिन युवा वर्ग (15-29 वर्ष) में LFPR में गिरावट आई है—महिलाओं में 42 प्रतिशत से 41.3 प्रतिशत और पुरुषों में 61.1 प्रतिशत से 61.4 प्रतिशत।
राज्य स्तर पर चिंता: उत्तराखंड में कुल बेरोजगारी दर 8.9 प्रतिशत होने से राज्य सरकार पर दबाव बढ़ गया है। आंध्र प्रदेश और केरल के बाद तीसरा स्थान होने के बावजूद, यह आंकड़ा राज्य की आर्थिक प्रगति के दावों को झुठला रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्व-रोजगार और परिवारिक कार्यबल में वृद्धि (37 प्रतिशत) से कुछ राहत मिली है, लेकिन सेकेंडरी सेक्टर (24.2%) और टर्शियरी सेक्टर (33.5%) में चुनौतियां बनी हुई हैं। कृषि क्षेत्र में 53.5 प्रतिशत से 57.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी को रिपोर्ट ने “खेती-किसानी संचालन में वृद्धि” का श्रेय दिया है।
विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस नेता ने कहा, “निवेश के आंकड़े कागजी हैं, जमीन पर रोजगार नहीं। PLFS रिपोर्ट सच्चाई बयान कर रही है।” दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि लंबे समय में निवेश फलित होगा। फिलहाल, यह रिपोर्ट राज्य की युवा आबादी के लिए एक चेतावनी के रूप में सामने आई है।


