सुशील खत्री/ पिथौरागढ
वर्ष 2019-20 में ट्यूलिप गार्डन के लिए वन विभाग पिथौरागढ़ ने एक करोड़ 77 लाख 59000 की डीपीआर बनाई थी।
72 लाख रुपए की धनराशि वन विभाग को शासन द्वारा स्वीकृत भी कर दी गई थी लेकिन वन विभाग ने धनराशि खर्च नहीं की।
गौर तलब है कि ट्यूलिप गार्डन योजना की शुरुआत के समय से ही इस योजना के औचित्य और इसकी संभावना पर वन विभाग के अधिकारियों ने ही सवाल खड़े किए थे। लेकिन संभवतः विदेश भ्रमण करके आए नेताओं और नौकरशाहों ने उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों में इसकी उपयोगिता के विषय में विचार नहीं किया।
पिथौरागढ़ निवासी अशोक सिंह ऊपरारी द्वारा पर्यटन विभाग से मांगी गई सूचना अधिकार में यह जानकारी प्राप्त हुई है।
अभी तक पिथौरागढ़ में ट्यूलिप गार्डन का निर्माण कार्य आरंभ नहीं किया गया है। प्रयोग के तौर पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में मोस्टामानु मंदिर और पशुपतिनाथ मंदिर में ट्यूलिप प्लांटेशन की कार्यवाही के लिए मुख्य उद्यान अधिकारी पिथौरागढ़ और ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता ने 19,93,688 रुपए के खर्च की मांग की थी। इस धनराशि से ट्यूलिप प्लांटेशन का कार्य करवाया गया है। उक्त धनराशि “13 जनपद 13 डेस्टिनेशन” योजना के अंतर्गत स्वीकृत की गई थी। इस योजना के अंतर्गत पशुपतिनाथ मंदिर में पेयजल कनेक्शन के लिए ग्रामीण निर्माण विभाग पिथौरागढ़ को 2,77000 का भुगतान किया गया तथा चैन लिंक फेंसिंग के कार्य के लिए 3,80000 खर्च किए गए।
इसी तरह से पशुपतिनाथ मंदिर में भी चैन लिंक फेंसिंग के कार्य के लिए 2,0600 रुपए तथा दोनों मंदिरों में ट्यूलिप की क्यारी के चारों ओर ईट और कांटेदार तार के कार्य के लिए 85,000 का भुगतान किया गया था।
श्रमिक कार्य और अन्य कार्यों के लिए 1,61,438 रुपए का भुगतान किया गया और ट्यूलिप के बल्ब खरीदने हेतु उद्यान विभाग को 8,64,250 दिए गए।
जिला पर्यटन अधिकारी पिथौरागढ़ अरविंद गौड़ ने सूचना के अधिकार के अंतर्गत बताया कि प्रयोग के तौर पर मोस्टा मानू और पशुपतिनाथ मंदिर में ट्यूलिप प्लांटेशन का कार्य उद्यान विभाग पिथौरागढ़ द्वारा कराया गया था। इसमें पहली बार अच्छी फ्लावरिंग हुई लेकिन यह बीज एक बार ही बोई जाने वाली जेनेटिकली मोडिफाइड प्रजाति है। इसके बीज उत्पादन हेतु फॉरेंसिक टेक्नोलॉजी भारत में उपलब्ध नहीं है। ऐसी दशा में ट्यूलिप गार्डन विकसित किए जाने हेतु प्रत्येक सीजन में नए बल्ब खरीदने की आवश्यकता होगी। जिस कारण से पिथौरागढ़ में बाद में ट्यूलिप गार्डन निर्माण के लिए कार्यवाही नहीं की गई।
प्रयोग के तौर पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में मुख्य उद्यान अधिकारी और ग्रामीण निर्माण विभाग को कार्यदाई संस्था के रूप में 19 लाख 93,688 रुपए की धनराशि से कार्य करवाए गए। लेकिन हर सीजन में नए बीजों की आवश्यकता के कारण यह कार्य रोक दिया गया। वर्तमान में पर्यटन विभाग द्वारा ट्यूलिप गार्डन निर्माण के संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
जिला पर्यटन अधिकारी पिथौरागढ़ करती चंद्र आर्य का कहना है कि ट्यूलिप के लिए यहां का मौसम अनुकूल नहीं है और इसे उगाई जाने की कोई संभावना नहीं है ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर इस संभावना को तब ही क्यों नहीं टटोला गया जब इस पर वन विभाग के अधिकारी ही सवाल खड़े कर रहे थे !
लगभग 20 लख रुपए खर्च करने के बाद ऐसी योजनाओं के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती।