देहरादून।
विभागीय अपर सचिव अपने स्तर से ही सीएम दफ्तर के निर्देश का हवाला देकर नियमों के विपरीत एक कॉलेज को दो साल की छात्रवृत्ति जारी करवा दी।
उत्तराखंड में एससी, एसटी और बीसी छात्रवृत्ति में अरबों का घोटाला खासा चर्चा में है।समाज कल्याण विभाग के अपर सचिव रामविलास यादव के आदेश पर कॉलेज ने फर्जी तरीके से भुगतान कर दिया ।समाज कल्याण विभाग के छोटे अफसर और पैसा हड़पने वाले कॉलेज के प्रबंधन के कई लोग जेल जा चुके हैं।
लेकिन वो कौन हैं जिसकी मदद से इतना बड़ा घोटाला हुआ हैं ,एसआईटी क्यों मामले की जड़ तक नहीं जाना चाहता हैं ?
दरअसल ,सोशल मीडिया में समाज कल्याण विभाग के अपर सचिव रामविलास यादव का एक आदेश खासा वायरल हो रहा है।
इस आदेश में प्रमोटी आईएएस यादव हरिद्वार के जिला समाज कल्याण अधिकारी को लिखा हुआ हैं कि,आइडियल बिजनेस स्कूल मंगलौर के एससी-एसटी और बीसी वर्ग के छात्रों को छात्रवृत्ति दी जानी है। एनआईसी के निदेशक ने पोर्टल में इसके भुगतान की व्यवस्था होने से इंकार कर दिया है।
लिहाजा वित्तीय वर्ष 2015-16 और 2016-17 के स्थायी और अस्थायी तौर पर निरस्त आवदन पत्रों को पात्र या स्वीकृत मानते हुए ऑफलाइन या एनईएफटी के माध्यम से भुगतान सुनिश्चित किया जाए।
20 फरवरी-2018 को जारी इस आदेश में अपर सचिव ने लिखा कि, ऐसा मुख्यमंत्री दफ्तर से मिले निर्देशों के क्रम में किया जा रहा है। इसे नजीर न माना जाए।
कॉलेज ने अपर सचिव के आदेश पर भुगतान कर भी दिया ।एसआईटी ने अपनी जांच में पाया कि, इस कॉलेज ने ये भुगतान फर्जी तरीके से लिया है। और कॉलेज प्रबंधन से जुड़े कई लोगों को जेल भेज दिया।
आईएएस अफसर रामविलास यादव पांच से भी अधिक सालों से समाज कल्याण विभाग में ही जमे हैं। अरबों का घोटाला सामने आने के बाद भी इस अफसर को इस विभाग में ही बनाए ऱखा गया। कांग्रेस और भाजपा दोनों की दलों की सरकारों में इनकी तूती बोलती रही है।
एक कॉलेज के नियमों को तोड़कर भुगतान का जीओ जारी करने वाले आईएएस अफसर रामविलास यादव से एसआईटी से कई पूछताछ की।
सवाल यहा यह हैं कि,क्या एसआईटी ने यह जानने की कोशिश की त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री रहते उनके दफ्तर से किस व्यक्ति से इस तरह से अनियमित भुगतान का आदेश किया और एक अफसर ने उसे मान भी लिया।