रिपोर्ट पर्वतजन ब्यूरो
हल्द्वानी, 4 अप्रैल – उत्तराखंड सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने के खिलाफ विरोध तेज हो गया है। आज गन्ना सेंटर के रामलीला मैदान में किसान मकान बचाओ संघर्ष समिति द्वारा आयोजित खुली चर्चा में ग्रामीणों ने एकमत से निर्णय लिया कि वे अपने घरों में स्मार्ट मीटर नहीं लगने देंगे।
संघर्ष समिति की रणनीति:
ग्रामीणों और किसानों ने फैसला किया है कि आगामी तीन दिनों में गांव-गांव और घर-घर जाकर स्मार्ट मीटर के विरोध में संयुक्त ज्ञापन (मेमोरेंडम) पर हस्ताक्षर कराए जाएंगे। इस ज्ञापन को उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव एवं मुख्यमंत्री को भेजा जाएगा।
क्यों हो रहा है विरोध?
संघर्ष समिति का कहना है कि स्मार्ट मीटर किसानों और ग्रामीणों पर आर्थिक और मानसिक दबाव डालने की साजिश है।
यदि किसान छह माह में फसल बेचने के बाद एक साथ बिल भरना चाहे, तो भी सरकार उसका कनेक्शन नहीं काट सकती।
“पहले पैसा भरो, फिर बिजली लो” नीति से गांवों में अंधकार फैलाने की कोशिश हो रही है।
बिजली विभाग के कर्मचारी अकेली महिलाओं को डराकर जबरन स्मार्ट मीटर लगा रहे हैं।
ग्रामीणों को धमकी दी जा रही है कि यदि अभी मीटर नहीं लगवाया तो भविष्य में ₹5000 का जुर्माना देना होगा।
किसानों की आर्थिक स्थिति दयनीय है, वे कर्ज में डूबे हैं और नियमित भुगतान करने में सक्षम नहीं हैं।
संघर्ष समिति की आगामी योजना:
लगभग 1000 ग्रामीणों के हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन को उपजिलाधिकारी हल्द्वानी के माध्यम से सरकार को सौंपा जाएगा।
यदि सरकार इस पर गंभीरता से विचार नहीं करती, तो बड़े स्तर पर जन आंदोलन होगा।
गांव के रामलीला मैदान में सरकार की नीति के खिलाफ महापंचायत आयोजित की जाएगी।
गांवों में व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
संघर्ष समिति का बयान:
“गांव में स्मार्ट मीटर न लगे, इसके लिए दो दिन पूर्व ही बिजली विभाग के अधिकारियों को लिखित में सूचना दी गई थी। इसके बावजूद आज गांवों में जबरन मीटर लगाए गए हैं। यह गंभीर अन्याय है, जिसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जाएगा। संघर्ष समिति मजबूती से इस आंदोलन को लड़ेगी।” – पूर्व ग्राम प्रधान ललित मोहन नेगी
“सरकार किसानों को कर्ज में डूबो रही है। बिना जागरूकता के स्मार्ट मीटर लगाने का सीधा मतलब है कि किसानों को अंधकार में धकेला जाए। हम इस अन्याय के खिलाफ व्यापक विरोध करेंगे।” – युवा नेता ललित मोहन जोशी
संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया कि यदि जबरन स्मार्ट मीटर लगाने का कार्य बंद नहीं किया गया, तो यह आंदोलन बड़े स्तर पर फैलेगा और इसकी संपूर्ण जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी।