इसे कहते हैं आसमान से टपके खजूर में अटके
देहरादून में आज सुबह महाराणा प्रताप स्टेडियम में पहाड़ जाने के लिए गाड़ियों का इंतजार करते हुए सैकड़ों लोगों का हुजूम जुटा रहा।
इन लोगों को पुलिस ने कहा था कि आज गाड़ियां जाएंगी और जब यह लोग यहां पहुंचे तो इनको गाड़ियां नहीं मिली। पुलिस ने इनसे सीधे कह दिया कि आज कोई गाड़ियां नहीं जाएंगी, इसलिए वापस चले जाओ। हैरान-परेशान लोग फिर भी घंटों तक सड़क पर ही बैठे रहे।
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इनमें से कई लोग 12-13 किलोमीटर पैदल चलकर स्टेडियम पहुंचे थे। जब यहां पर गाड़ियां नहीं मिली तो इन्होंने पर्वतजन को फोन करके अपनी समस्या बताई। पर्वतजन ने मौके पर जाकर देखा तो पाया कि यहां पर लोगों की भीड़ पहाड़ जाने के लिए गाड़ियों का इंतजार कर रही थी।
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इनमें से कई लोग वापस भी जा चुके थे। उन्हे आज सुबह स्टेडियम में बुलाया था लेकिन जब यह लोग यहां पहुंचे तो पता चला कि आज पहाड़ के लिए कोई गाड़ी नहीं है।
गौरतलब है कि सरकार ने विभिन्न जिलों में जाने के लिए लोगों को अपने नजदीकी थानों में संपर्क में रहने और वहां पर अपना नाम लिखाने को कहा है।
किंतु रायपुर स्टेडियम से लेकर के थानों के बीच में इतना मिसकम्युनिकेशन है कि पहाड़ जाने के इच्छुक लोगों में असमंजस बना रहता है।
किसी को भी यह पता नहीं रहता कि उनका नंबर कब आएगा। कभी बिना रजिस्ट्रेशन के कई लोगों को गाड़ी में बिठा दिया जाता है तो कई लोग ऐसे हैं जिनका रजिस्ट्रेशन कराए हुए एक सप्ताह हो गया लेकिन उनका अभी तक कोई नंबर नहीं आया है।
इससे सबसे बड़ी अराजक स्थिति यह हो गई है कि लोग बिना बताए भी स्टेडियम पहुंच जा रहे हैं, ताकि यदि कोई गाड़ी मिल जाए तो उसमें बैठ जाएं।
किंतु आज स्थिति सबसे अलग नजर आई। लोग जब यहां पहुंचे तब उन्हें पता चला यहां से आज कोई गाड़ी नहीं जाएगी। यदि संबंधित थानों का और रायपुर स्टेडियम में व्यवस्था संभाल रहे कंट्रोल रूम का आपस में कम्युनिकेशन होता तो फिर इन लोगों को ऐसी फजीहत नहीं झेलनी पड़ती।
जाहिर है कि पुलिस प्रशासन को आपस में संवाद और सामंजस्य बनाए जाने की काफी जरूरत महसूस हो रही है। ताकि अपने घरों को लौटने वाले लोगों को फजीहत न झेलनी पड़े।