जीरो टॉलरेंस की सरकार को धता बताते हुए तुला इंस्टीट्यूट देहरादून।यहां के भ्रष्टाचार पर विभागीय मंत्री/ मुख्यमंत्री और अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने साधा मौन
विगत 10 दिनों से पर्वतजन के माध्यम द्वारा उत्तराखंड प्रदेश में तकनीकी शिक्षा में हो रहे फर्जीवाड़े का खुलासा होने के पश्चात भी सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जिनके पास तकनीकी शिक्षा मंत्रालय है, आराम फरमा रहे हैं।
बात यहीं तक सीमित नहीं रह जाती है, क्योंकि इस संबंध में तकनीकी अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश को भी दिनांक 12 अप्रैल 2019 को पत्र के माध्यम से अवगत कराया गया था. भ्रष्टाचार इस हद तक शामिल है कि खुलासा होने के पश्चात ना माननीय मुख्यमंत्री , ना उनके विभागीय सचिव या उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय कुछ बोल पा रहा है।
खुलासा होने के पश्चात आम जनों द्वारा अब यही कहा जा रहा है कि जिस प्रदेश के मुख्यमंत्री के पास तकनीकी शिक्षा तथा जिस प्रदेश के सांसद डॉ रमेश निशंक पोखरियाल के पास संपूर्ण भारत के तकनीकी शिक्षा का मंत्रालय है , जब यह लोग अपने ही प्रदेश में तकनीकी संस्थानों को लगाम नहीं पा रहे हैं तो क्या यह लोग संपूर्ण भारत के तकनीकी संस्थानों पर लगाम लगा पाएंगे। यह प्रश्न अहम तब हो जाता है जब रमेश पोखरियाल निशंक के पास संपूर्ण भारतवर्ष के तकनीकी संस्थान हैं।
फर्जी तरीके से मान्यता प्राप्त करना यदि कोई सीखना चाहे तो उसके लिए सबसे अच्छा उदाहरण तुला इंस्टीट्यूट देहरादून होगा।
यह बात इसलिए कही जा रही है क्योंकि विगत दिनांक 25 मार्च 2019 को एआईसीटीई निरीक्षण समिति द्वारा जब कॉलेज का निरीक्षण किया गया तब कॉलेज प्रबंधन के द्वारा फर्जी तरीके से मान्यता लेने की कोशिश की गई।
एआईसीटीई निरीक्षण समिति के सदस्यों के समझ तुला इंस्टीट्यूट द्वारा लैब टेक्नीशियन, तृतीय श्रेणी कर्मचारियों तथा नॉनटेक्निकल व्यक्तियों को बतौर शिक्षक बनाकर निरीक्षण समिति के सम्मुख पेश किया गया. प्राप्त सूत्रों से मिली जानकारी से निरीक्षण समिति द्वारा सर्वप्रथम डॉक्टर स्नेहा जोशी का नाम पुकारा गया।
पर्वतजन यह पहले ही यह बता चुका था कि डॉक्टर स्नेहा जोशी तुला संस्थान में कभी कार्यरत ही नहीं थी। तुला इंस्टीट्यूट के प्रबंधन की दाद देनी पड़ेगी कि उन्होंने एक लैब टेक्नीशियन को डॉक्टर स्नेहा जोशी बताकर निरीक्षण समिति के समक्ष पेश कर दिया।
एआईसीटीई निरीक्षण समिति द्वारा जब आईडी कार्ड दिखाने की बात कही गई तब उस लैब टेक्नीशियन नॆ एक फर्जी आईडी कार्ड जिसमें कि लैब टेक्नीशियन की फोटो तथा नाम डॉ स्नेह जोशी का था, निरीक्षण समिति के समक्ष प्रस्तुत कर दिया। इसी तरह आधे से ज्यादा शिक्षक फर्जी दिखाए गए।
इसी क्रम में एआईसीटीई को एक पत्र भेजा जा चुका है, जिसमें इस संस्थान की मान्यता को खत्म करने की गुजारिश की गई है।
उत्तराखंड के लिए यह एक शर्मनाक घटना है क्योंकि तकनीकी शिक्षा स्वयं राज्य के मुखिया श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी के अधीन है तथा देश का शिक्षा मंत्रालय हमारे उत्तराखंड के सांसद श्री रमेश पोखरियाल जी के पास. अब देखना यह रह गया है कि इन सब खुलासों के बाद तुला संस्थान के ऊपर कब कठोर कार्रवाई की जाएगी।