एक्सचलूसिव: नींद से जागी उज्ज्वला। पार्क महकमा अब भी नींद में

नींद से जागी उज्ज्वला। पार्क महकमा अब भी नींद में

– सालों से कार्यरत संविदा कर्मचारियों पर लटकी तलवार

रिपोर्ट- अनुज नेगी
देहरादून। राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क को लेकर भले ही अधिकारी कितने ही दावे करे मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है। इस पार्क में अहम रीढ़ माने जाने वाले संविदा कर्मियों पर अब अपनी नॉकरी बचाने की तलवार लटक गई है। पार्क महकमे की सभी दस रेंजों में कार्य करने वाले ये संविदा कर्मी आज किसी परिचय का मोहताज नही है। महीनों वेतन न मिलने, घर परिवर की रोजी रोटी को चलाने के संकट के बावजूद भी अब निजी कम्पनी इनके पर कतरने की तैयारी में है।

मगर ये हालात क्यों बने इसकी तह में जाने की फुरसत किसी को भी नही। यंहा कार्य कर रहे कुछ असामाजिक, ऊंची पँहुच व वन कर्मियों व अधिकारियों के संरक्षन में फल फूल रहे संविदा कर्मियों की वजह से अब सभी संविदा कर्मी परेशान है। बता दे कि, हरिद्वार रेंज में एक संविदा कर्मी के आतंक व ऊंची पँहुच के बल पर किये कुछ कारनामो ने महकमे की नींद उड़ा रखी है। पार्क महकमे के अधिकारी उस संविदा कर्मी को दूसरी रेंज में भेज कर अपना पल्ला झाड़ने में लगे है, मगर इन सब के बीच इन कर्मियों को हैंडल करने वाली कम्पनी नींद से जाग गई है। इस कम्पमी ने अब पार्क में तैनात सभी संविदा कर्मियों के पुलिस वरीफिकेसन व शैक्षिक प्रमाणपत्र जांचने की पहल शुरू करने की घोषणा की है।

अब सवाल यह है कि आज तक इन कर्मचारियों की जांच क्यों नही हुई, क्या पार्क महकमे की सुरक्षा में सवाल राजाजी टाइगर रिजर्व हमेशा से शिकारियों की नजर में रहा है। मगर उसके बावजूद भी आजतक क्यो नही इन संविदा कर्मियों की पुलिस जांच की गई। सूत्रों की माने तो अधिकतर संविदा कर्मी पार्क में कार्यरत वन कर्मियों व अधिकारियों के रिश्तेदार है। के संविदा कर्मी पिछले दस वर्षों से यंहा कार्यरत है । सरकारी मानको को देखे तो अब वे कंही भी कार्य नही पा सकते। सूत्रों की माने तो आज तक सब कुछ भगवान भरोसे चल रहा है।

अगर इनकी जांच हो तो कुछ के क्रिमिनल रिकॉर्ड जरूर खुल जाएंगे। हरिद्वार में तो एक संविदा कर्मी पर शराब तस्करी व अवैध उगाही का आरोप तमाम लोगो द्वारा लगाए गए है, इन जैसे संविदा कर्मियों के चलते सभी इसकी सजा क्यो भुगते ये बड़ा सवाल है। वही जब पर्वतजन ने जिम्मेदार अधिकारी राजाजी पार्क के डायरेक्टर डी के सिंह से बात की तो उन्होंने अपना पल्ला झाड़ दिया और इस मामले में आउटसोर्सिंग कंपनी से बात करने को कहा गया।

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