जगदम्बा कोठारी, ऋषिकेश।
खबर पर पाठकों के सहयोग एंव प्रतिक्रिया के बाद पर्वतजन की एक और खबर का बड़ा असर हुआ है। एम्स में हुए भ्रष्टाचार के खुलासे के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एम्स निदेशक को दिल्ली तलब कर एक सप्ताह के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है। आनन-फानन में एम्स प्रशासन ने फर्जी तरीके से नियुक्त किए गए 23 रेजिडेंस प्रोफेसरों को हटा दिया है।
पर्वतजन ने 2 दिन पूर्व ‘एम्स में नियुक्तियों में नहीं थम रहा भाई- भतीजावाद’ नामक शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। जिसमें हमने खुलासा किया था कि एम्स निदेशक डॉ रविकांत की शह पर संस्थान में अनुसूचित जाति और ओबीसी वर्ग के 36 चिकित्सकों के रिक्त पदों पर आउटसोर्सिंग के माध्यम से 23 डॉक्टरों को गैर कानूनी तरीके नियुक्ति दी गई है।
ग्रुप ‘ए’ के अंतर्गत आने वाले इन सभी पदों पर आरक्षण को दरकिनार कर संविधान के विपरीत आउटसोर्सिंग के माध्यम से भरा गया है। साथ ही संस्थान में अनावश्यक रूप से एवं पिछले दरवाजे से लाखों वेतन पर निदेशक ने अपने रिश्तेदारों को फर्जी नियुक्तियां प्रदान कर केंद्र सरकार को प्रतिवर्ष लाखों करोड़ों रुपए का चूना लगाया जा रहा है।
इस खुलासे के बाद पूरे मामले पर अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, दिल्ली ने एम्स निदेशक को दिल्ली तलब किया और उनसे एम्स में हुए भ्रष्टाचार को लेकर तीखे सवाल किए।
निदेशक द्वारा संतुष्ट जवाब नहीं दिए जाने के कारण अब मंत्रालय ने 1 सप्ताह के भीतर तथ्यों के साथ लिखित स्पष्टीकरण निदेशक से मांगा है। जिसके बाद से एम्स प्रशासन में हड़कंप मच गया है।
आनन-फानन में आरक्षण वर्ग के 36 रिक्त पदों में से आउटसोर्सिंग के माध्यम से लगाये गए इन सभी 23 रेजिडेंस प्रोफेसरों को एम्स ने बाहर कर दिया है।
हालांकि उनका साला और बहनोई सहित तमाम रिश्तेदार अभी भी पद पर बने हुए हैं। निदेशक की शह पर एम्स में हुई नियुक्तियों में भ्रष्टाचार के अभी और कई बड़े खुलासे होने बाकी हैं जिसे समय समय पर पर्वतजन पाठकों के सम्मुख रखता रहेगा।