काशीपुर, 6 जून 2025:
उत्तराखंड लोक सेवा अधिकरण की नैनीताल पीठ ने पुलिस कांस्टेबल दिनेश कुमार के खिलाफ जारी विभागीय दंड आदेश को निरस्त कर दिया है। कांस्टेबल दिनेश कुमार को एसएसपी उधमसिंह नगर और आईजी कुमाऊं द्वारा विधायक की कथित सिफारिश पर स्थानांतरण करवाने के आरोप में दंडित किया गया था। लेकिन ट्रिब्युनल ने यह मानते हुए कि यह आदेश भ्रमपूर्ण तथ्यों पर आधारित था और न्यायसंगत नहीं था, दोनों अधिकारियों के आदेशों को खारिज कर दिया।
क्या है मामला?
कांस्टेबल दिनेश कुमार वर्तमान में चंपावत जिले में तैनात हैं। वर्ष 2021 में वे उधमसिंह नगर जिले में कार्यरत थे। उसी दौरान नानकमत्ता विधायक डॉ. प्रेम सिंह राणा के नाम से एक पत्र वायरल हुआ, जिसमें दिनेश कुमार सहित कुछ पुलिसकर्मियों के स्थानांतरण की सिफारिश की गई थी। इसी पत्र को आधार बनाकर एसएसपी ने यह मानते हुए कि कांस्टेबल ने जनप्रतिनिधि से सिफारिश कराई है, उनके खिलाफ विभागीय जांच कराई।
रिपोर्ट के आधार पर एसएसपी ने दिनेश कुमार की चरित्र पंजिका में “परिनिन्दा प्रविष्टि” दर्ज कर दी। दिनेश कुमार की अपील पर आईजी कुमाऊं ने भी इस दंड को बरकरार रखा।
क्यों खारिज हुआ आदेश?
दिनेश कुमार ने अधिवक्ता नदीम उद्दीन के माध्यम से अधिकरण में याचिका दाखिल की, जिसमें बताया गया कि जिस स्थानांतरण की सिफारिश पत्र में की गई थी, वहां तो वे पहले से ही तीन माह से कार्यरत थे। ऐसे में सिफारिश कराने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता। उन्होंने यह भी कहा कि विभागीय जांच में उनके पक्ष को सुना ही नहीं गया और न ही कोई स्वतंत्र साक्ष्य प्रस्तुत किया गया।
ट्रिब्युनल का फैसला:
अधिकरण के सदस्य कैप्टन आलोक शेखर तिवारी ने कांस्टेबल के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए एसएसपी और आईजी दोनों के आदेशों को “न्यायहित में निरस्त किया जाना श्रेयस्कर” करार दिया। ट्रिब्युनल ने यह भी कहा कि:
- याची का स्थानांतरण पहले ही हो चुका था, ऐसे में सिफारिश का कोई औचित्य नहीं।
- इसी मामले में अन्य पुलिसकर्मियों को पहले ही दोषमुक्त किया जा चुका है।
- दंड आदेश भ्रम की स्थिति में निर्गत हुए और कानून की दृष्टि से टिकाऊ नहीं हैं।
ट्रिब्युनल ने यह दिए निर्देश:
- दिनेश कुमार की चरित्र पंजिका से दंड प्रविष्टि हटाई जाए।
- 30 दिनों के भीतर उन्हें उनके सभी सेवा लाभ प्रदान किए जाएं।