काशीपुर। उत्तराखंड में संचालित अवैध मदरसों की जांच, सीलिंग और संबंधित नियमों के बारे में उत्तराखंड मदरसा शिक्षा परिषद के पास कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। यह खुलासा सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन (एडवोकेट) द्वारा आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी से हुआ है। वहीं, प्रदेश में इस समय कुल 452 मान्यता प्राप्त वैध मदरसे संचालित हो रहे हैं।
काशीपुर निवासी आरटीआई कार्यकर्ता नदीम उद्दीन ने उत्तराखंड मदरसा शिक्षा परिषद, देहरादून से अवैध मदरसों की जांच और वैध मदरसों की संख्या को लेकर सूचना मांगी थी। इसके जवाब में परिषद के लोक सूचना अधिकारी और उप रजिस्ट्रार मोहम्मद ओबैदुल्लाह अंसारी ने पत्रांक संख्या 01 और 02 के माध्यम से जानकारी प्रदान की।
प्राप्त सूचना के अनुसार, परिषद के पास अवैध मदरसों की जांच या संख्या से संबंधित कोई भी अभिलेख उपलब्ध नहीं हैं। हालांकि, राज्य में वैध व मान्यता प्राप्त मदरसों की संख्या 452 है, जो उत्तराखंड मदरसा शिक्षा परिषद के रिकॉर्ड में दर्ज हैं।
जिलेवार वैध मदरसों की संख्या:
-
हरिद्वार: 270
-
उधमसिंह नगर: 119
-
देहरादून: 41
-
नैनीताल: 18
-
चम्पावत: 2
-
अल्मोड़ा व पिथौरागढ़: 1-1
स्तर के अनुसार मदरसों का विवरण:
-
तहतानिया (कक्षा 1–5): 233
-
फौकानिया (कक्षा 6–8): 165
-
मुंशी/मौलवी (कक्षा 9–10): 46
-
आलिम अरबी-फारसी (कक्षा 11–12): 8
प्राइमरी स्तर (तहतानिया) के 233 मदरसों में:
-
देहरादून: 27, नैनीताल: 12, अल्मोड़ा: 1, पिथौरागढ़: 1, हरिद्वार: 142, उधमसिंह नगर: 48, चम्पावत: 2
जूनियर हाईस्कूल (फौकानिया) के 165 मदरसे:
-
देहरादून: 13, नैनीताल: 5, हरिद्वार: 104, उधमसिंह नगर: 43
माध्यमिक (मुंशी/मौलवी) स्तर के 46 मदरसे:
-
हरिद्वार: 22, उधमसिंह नगर: 24
इंटरमीडिएट (आलिम अरबी-फारसी) के 8 मदरसे:
-
हरिद्वार: 2, नैनीताल: 1, उधमसिंह नगर: 4
मदरसों की मान्यता की प्रक्रिया:
उत्तराखंड में मदरसों को उत्तराखंड मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम 2016 और अशासकीय अरबी-फारसी मदरसा मान्यता विनियमावली 2019 के तहत मान्यता दी जाती है। इच्छुक व्यक्ति या पंजीकृत समिति द्वारा जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के माध्यम से आवेदन किया जाता है। निर्धारित मापदंड पूरे करने के बाद परिषद द्वारा मान्यता दी जाती है।
इस प्रक्रिया के तहत मदरसे चलाने वाली समिति का सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के अंतर्गत पंजीकृत होना अनिवार्य है, हालांकि वक्फ बोर्ड में पंजीकृत मदरसों को अस्थायी मान्यता दी जा सकती है।
जहां उत्तराखंड में वैध मदरसों का संचालन स्पष्ट रूप से हो रहा है, वहीं अवैध मदरसों की स्थिति को लेकर मदरसा बोर्ड के पास कोई जानकारी न होना प्रशासनिक पारदर्शिता और निगरानी प्रणाली पर सवाल खड़े करता है।