ग़ौरतलब हो कि, सरकार विधायकों को अपने अपने क्षेत्र में विकास कार्यो के लिए खर्च करने के लिये विधायक निधि उपलब्ध कराती है | जिसे अपने कार्यकाल के दौरान विधायक द्वारा खर्च करना होता है |
लेकिन एक आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार,2 विधायकों की आधी से भी कम विधायक निधि खर्च हुई है,जबकि 2 विधायक इसे भी है जिन्होंने तेज़ी से विकास कार्य करते हुए 90% से अधिक विधायक निधि खर्च की है|
काशीपुर निवासी आरटीआई कार्यकर्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता नदीम उद्दीन ने ग्राम्य विकास आयुक्त से इस बारे में जानकारी मांगी थी।जिसके उत्तर मे लोक सूचना अधिकारी/आयुक्त (प्रशासन) हर गोविंद भट्ट द्वारा अपने पत्रांक 3108 के साथ विधायक निधि वर्ष 2017-18 से 2020-21 का विवरण दिसम्बर 2020 उपलब्ध कराया है। जिसमें दिसम्बर 2020 के अंत तक की विधायक निधि खर्च का विवरण दिया गया है।
जिसके अनुसार, उत्तराखंड के वर्तमान विधायकों को 2017 से दिसम्बर 2020 तक कुल 940.75 करोड़ रूपये की विधायक निधि उपलब्ध हुई,जबकि उसमें से दिसम्बर 2020 तक केवल 75 प्रतिशत 705.14 करोड़ की विधायक निधि ही खर्च हो सकी। 25 प्रतिशत 223.91 करोड़ की विधायक निधि खर्च होने को शेष है।
उपलब्ध सूचना के अनुसार, उत्तराखंड के 71 विधायक को 13.25 करोड़ रूपये प्रति विधायक की दर से 940.75 करोड़ रूपये की विधायक निधि दिसम्बर 2020 तक उपलब्ध करायी गयी। इसमें से जनवरी 2021 के प्रारम्भ में रू. 235.91 करोड़ की विधायक निधि खर्च होने को शेष है।
उत्तराखंड के 71 विधायकों में से 9 विधायको की 60 प्रतिशत से कम विधायक निधि खर्च हुई है,जबकि 2 विधायकों की केवल 40 व 44 प्रतिशत विधायक निधि ही खर्च हुई है। जबकि 90 प्रतिशत से अधिक विधायक निधि खर्च होने वाले विधायकों में केवल दो विधायक शामिल है।
किसने की कितनी विधायक निधि खर्च:-
सबसे कम विधायक निधि 40 प्रतिशत खर्च वालों में रुद्रप्रयाग विधायक मनोज रावत है |
धारचूला विधायक हरीश सिंह धामी ने 44 प्रतिशत विधायक निधि को खर्च किया है|
जबकि सर्वाधिक 93 प्रतिशत खर्च वाले नामित सदस्य जीआईजी मैनन है |
92 प्रतिशत खर्च वाले मंगलौर विधायक निजामुददीन है।
आरटीआई में उपलब्ध विवरण के अनुसार 51 से 60 प्रतिशत खर्च वाले विधायकों में निम्न विधायक शामिल है :-मीना गंगौला, चन्द्रा पंत, धन सिंह, करन मेहरा, गोविन्द सिंह कुंजवाल, महेश नेगी |
वही 61 से 70 प्रतिशत खर्च वाले विधायकों में प्रेम चन्द्र अग्रवाल, विशन सिंह चुफाल, मुन्ना सिंह चौहान, दिलीप सिंह रावत, मदन कौशिक, महेन्द्र भट्ट, सहदेव पुंडीर, विजय सिंह पवार, मगन लाल शाह, सतपाल महाराज, पुष्कर सिंह धामी, गोपाल सिंह रावत, प्रीतम सिंह शामिल है |
सुरेन्द्र सिंह जीना, रघु राम चौहान, दीवान सिंह बिष्ट, सुरेन्द्र सिंह नेगी, देश राज कर्णवाल, सुबोध उनियाल, हरभजन सिंह चीमा, यशपाल आर्य, रीता खंडूरी ने 71 से 75 प्रतिशत विधायक निधि खर्च की है |
76 से 80 प्रतिशत खर्च वाले विधायकों में बंशीधर भगत, राजेश शुक्ला, राजकुमार ठुकराल, आदेश सिंह चौहान (जसपुर विधायक), केदार सिंह रावत, संजीव आर्य, हरक सिंह रावम, यतीशवरानन्द, त्रिवेन्द्र सिंह रावत, शक्ति लाल शाह, रेखा आर्य, ममता राकेश, इंदिरा ह्रदेयश, मुकेश कोली शामिल है।
वही 81 से 85 प्रतिशत खर्च वाले विधायकों में प्रेम सिंह राना, रामसिंह केड़ा, खजान दास, प्रदीप बतरा, सुरेश राठौर, अरविन्द पांडेय, भरत सिंह, फुरकान अहमद, हरवंश कपूर, उमेश शर्मा, विनोद कंडारी, विनोद चमोली, संजय गुप्ता, नवीन चन्द्र दुम्का, सौरभ बहुगुणा, प्रीतम सिंह पवार शामिल है।
86 से 90 प्रतिशत खर्च वाले विधायकों में कुंवर प्रणव सिंह चैम्पियन, राजकुमार, धन सिंह नेगी, आदेश चैहान, चन्दन राम दास, बलवंत सिंह, गणेश जोशी, कैलाश गहतौड़ी, पूरन सिंह फत्र्याल शामिल है।
अधिवक्ता नदीम को उपलब्ध विवरण के अनुसार,उत्तराखंड के मंत्रियों में डोईवाला विधायक मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की 79 प्रतिशत, कैबिनेट मंत्री चौबट्टाखाल विधायक सतपाल महाराज की 68 प्रतिशत, कोटद्वार विधायक डा0 हरक सिंह रावत की 78 प्रतिशत, हरिद्वार विधायक मदन कौशिक की 65 प्रतिशत, बाजपुर विधायक यशपाल आर्य की 75 प्रतिशत, गदरपुर विधायक अरविन्द पाण्डे की 82 प्रतिशत, नरेन्द्र नगर विधायक सुबोध उनियाल की 73 प्रतिशत तथा राज्य मंत्री सोमेश्वर विधायक रेखा आर्य की 80 प्रतिशत तथा श्रीनगर विधायक डा0 धन सिंह की 56 प्रतिशत विधायक निधि ही दिसम्बर 2020 तक खर्च हो सकी है। नेता प्रति पक्ष व हल्द्वानी विधायक श्रीमती इंदिरा ह्रदेयश की 80 प्रतिशत विधायक निधि खर्च हुई है।
अब सवाल ये उठता है कि, चुनाव नजदीक है लेकिन फिर भी सरकार द्वारा विकास कार्यो के लिए दी गयी धनराशि खर्च क्यों नहीं हुई है?
क्या विधायकों ने अपने क्षेत्र में विकास कार्य नहीं किये है ?