पैसिफिक गोल्फ एस्टेट स्थित फ्लैट से कूदकर आत्महत्या करने वाले दून के नामी बिल्डर सतेंदर साहनी उर्फ बाबा साहनी के परिजनों को गुप्त बंधु (अजय गुप्ता और उनके बहनोई अनिल गुप्ता) से कोई खतरा नहीं है। यह मनना है, दून पुलिस का।
लिहाजा, इसी आधार पर साहनी परिवार की सुरक्षा में लगाए गए 02 पुलिस कर्मियों को हटा लिया गया है। हालांकि, दूसरी तरफ सिख समाज ने बिल्डर साहनी को आत्महत्या के लिए मजबूर करने से जुड़े प्रकरण पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
इस संबंध में सिंह सभा गुरुद्वारा रेसकोर्स, प्रबंधक कमेटी गुरुद्वारा श्री रेसकोर्स, प्रबंधक कमेटी पटेल नगर गुरुद्वारा, सिख संगत डोईवाला, गुरुद्वारा कमेटी गोविंद गढ़ समेत ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन पटेल नगर और उत्तराखंड संयुक्त विकास परिषद ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है।
इस ज्ञापन में सिख समाज समेत अन्य संगठनों ने कहा है कि बिल्डर बाबा साहनी के आत्महत्या प्रकरण में आरोपी गुप्ता बंधु के राज्य के बड़े नेताओं के साथ मेलजोल की खबरें सामने आ रही हैं।
ऐसे में उन्हें राजनीतिक संरक्ष्ण का अंदेशा है। मामले में पुलिस की ओर से अभी तक चार्जशीट दाखिल न करना भी चिंता का विषय है। यह भी स्पष्ट है कि पूर्व में भी गुप्ता बंधु को खुलेआम राजनीतिक संरक्षण मिलता रहा है।
यह स्थिति पुलिस पर दबाव की ओर भी इशारे करती है। साथ ही ज्ञापन में बिल्डर साहनी के परिवार को समुचित सुरक्षा प्रदान करने की मांग भी उठाई गई है।
ज्ञापन ऐसे समय पर जारी किया गया है, जब सतेंदर साहनी के परिवार की सुरक्षा हटा ली गई है। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस मामले में सरकार क्या रुख अपनाती है।
दूसरी तरफ यह पत्र ऐसे समय पर भी सामने आया है, जब गुप्ता बंधु का नाम प्रदेश की धामी सरकार को 500 करोड़ रुपये से गिराने की साजिश रचने के मामले में जोड़ा गया है।
वहीं, बीते दिनों सोशल मीडिया पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत/वर्तमान भाजपा सांसद हरिद्वार त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ गुप्ता बंधु अजय गुप्ता के साथ तस्वीर भी वायरल हुई है।
यह भी सभी को मालूम है कि गुप्ता बंधु दक्षिण अफ्रीका में क्या गुल खिला चुके हैं और उनके दामन पर कितने आरोप लगे हैं।
बिल्डर साहनी प्रकरण पर एक नजर
बाबा साहनी ने 24 मई 2024 को पैसिफिक गोल्फ एस्टेट स्थित फ्लैट से कूदकर जान दे दी थी। बाबा साहनी के सुसाइड नोट के आधार पर अजय गुप्ता और उनके बहनोई अनिल गुप्ता पर मुकदमा दर्ज कर जेल भी भेजा गया। वह अभी हाई कोर्ट से जमानत पर बाहर हैं।
हालांकि, पुलिस की जांच अभी जारी है और तमाम राज से पर्दा उठना बाकी। हालांकि, बिल्डर साहनी आत्महत्या के मामले में पुलिस के पास ऐसे साक्ष्य हाथ लगे, जो इस ओर इशारा करते हैं कि हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के बहाने दून में काला धन खपाने की योजना थी।
बाबा साहनी को इसी तरह के ट्रांजेक्शन पर एतराज था। जब बात नहीं बनी तो उन पर करीब 1000 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को अन्य माध्यम से पूरा करने या कंपनी छोड़ने का ऐसा दबाव बढ़ा, जिसे झेलने की जगह उन्हें मौत आसान रास्ता नजर आई।
इस प्रकरण में ईडी भी निकट भविष्य में कार्रवाई कर सकती है। यदि ऐसा होता है तो बिल्डर साहनी, उनके पार्टनर संजय गर्ग के हाउसिंग प्रोजेक्ट में पूर्व में जारी किए गए धन को लेकर चौंकाने वाली जानकारी सामने आ सकती है।