भ्रस्टाचार के विरुद्ध धामी सरकार ने जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत कार्यवाही आरम्भ कर दी है।
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में 2017 से लेकर आज तक हुई सभी प्रकार की नियुक्तियों के विरुद्ध उच्च स्तरीय जाँच समिति का गठन करते हुए 15 दिनों के अंदर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिये।
अवैध रूप से लाभार्थियों समेत कई अधिकारी पर गाज गिरेगी साथ ही जेल भी जाएंगे।
इसी क्रम में उक्त विश्वविद्यालय द्वारा सभी आयुष पाठ्यक्रमों में सत्र 2021- 22 में प्रवेश हेतु परिनियमावली का उल्लंघन करते हुए बिना कुलसचिव के कुलपति द्वारा गठित काउंसलिंग बोर्ड को शासन ने अवैध मानते हुए काउन्सलिंग प्रक्रिया को अमान्य किया।
शासन की इस कार्यवाही से काउंसलिंग बोर्ड द्वारा संस्थानों को आवंटित छात्रों के भविष्य पर ग्रहण लगना तय है।