स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने उच्च पहाड़ी क्षेत्रों में भारी निर्माण पर रोक संबंधी एक पत्र को गंभीरता से लेते हुए जनहित याचिका के रूप में ले लिया है । न्यायालय ने केंद्र सरकार से 25 मई को सर्वोच्च न्यायालय में चल रही सुनवाई की अपडेट लाने को कहा है ।
बीती 26 अप्रैल को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आर.सी.खुल्बे की खंडपीठ ने एक पत्र को जनहित याचिका के रूप में सुनवाई करी । सात मार्च 2022 को लिखे पत्र को हिमालयन एनवायरमेंट स्टडीज एवम कंजर्वेशन ऑर्गेनाइजेशन के डॉ.अनिल प्रकाश जोशी ने लिखा था । कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को भेजे पत्र में डॉ.अनिल प्रकाश जोशी ने कहा था कि हिमालय का ईको सिस्टम अब सुरक्षित और स्थिर नहीं रह सकता है । पर्वतों की ऊंचाई के साथ अस्थिरता और ज्यादा बढ़ जाती है, जब 1000फ़ीट से अधिक की ऊंचाई में बार बार आपदाएं आ रही हैं, जिससे जान माल का नुकसान हो रहा है। उन्होंने हिमालय क्षेत्रों में रहने वाले समुदाय की तरफ से प्रार्थना करते हुए कहा कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इसके पक्ष में भेजे तथ्यों का संज्ञान लें । पत्र में चमोली जिले के 1970 के चिपको आंदोलन से लेकर केदारनाथ, रैणी गांव और अल्मोड़ा जिले की आपदाओं का जिक्र किया गया है । पत्र में ये भी कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय के 1000 फ़ीट से अधिक ऊंचाई वाले पहाड़ों में पेड़ों के कटान पर रोक वाले आदेश को बढ़ाते हुए भारी निर्माण पर रोक लगनी चाहिए ।
यूनियन ऑफ इंडिया के असिस्टेंट सॉलिसिटर जर्नल राकेश थपलियाल ने बताया कि जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान उन्होंने उच्च न्यायालय को बताया कि उत्तराखंड के हाइड्रो प्रोजेक्ट की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय में हो रही है । उन्होंने कहा कि खंडपीठ ने उन्हें 25 मई को सर्वोच्च न्यायालय में चल रही सुनवाई से अपडेट करने को कहा है । जनहित याचिका को
इम्पेक्ट ऑफ मैसिव स्ट्रक्चर(हाइड्रो प्रोकेक्ट)बनाम राज्य सरकार देखा जा रहा है ।