वर्ष २०१६ से वाद में चल रहे श्री गुरु सिंह सभा आढ़त बाजार देहरादून की नयी प्रबंध समिति के चुनाव सरकार के निबंधक कार्यालय द्वारा गुप् चुप तरीके से करवाने का मामला सामने आया है ।
विदित हो की श्री गुरु सिंह सभा आढ़त बाजार देहरादून में हो रही वित्तीय अनिमितताओं अथवा चुनाव में गड़बड़ी की शिकायत सब रजिस्ट्रार कार्यालय में कुछ सदस्यों द्वारा कराई गयी थी।
रजिस्ट्रार कार्यालय ने वर्ष २०१७ में अपनी देखरेख में चुनाव करवाने के आदेश तब गुरुद्वारा समिति को दिए थे । गुरुद्वारा समिति ने गुप चुप तरीके से किसी निजी बरात घर में अपने करीबी लोगों को बुलवा कर रातों रात चुनाव करवा दिए थे । जिसके चलते रजिस्ट्रार कार्य ने गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा को अपंजीकृत कर दिया था । चुनावी वाद रजिस्ट्रार कार्यालय ने एसडीएम सदर देहरादून को संदर्भित कर दिया था । २०१७ में मामला नैनीताल हाई कोर्ट गया ।
कोर्ट ने कहा की विहित अधिकारी एसडीएम महोदय का निर्णाय अंतिम होगा । फरवरी २०२१ में नैनीताल हाई कोर्ट ने एसडीएम को उक्त मामला ६ माह के भीतर निपटाने का निर्देश दिया । कोविड के चलते पहले से ही एसडीएम न्यायालय में सुनवाई देरी से चल रही थी की अचानक 30 नवंबर २०२१ को रजिस्ट्रार कार्यालय के प्रशासनिक अधिकारी श्री रामकुमार सिंह ने मात्र ५२ लोगों को आया दिखा कर चुनाव करवा दिए ।
राजिस्ट्रर सोसाइटीज से कुछ सवाल ।
-श्री गुरु सिंह सभा का चुनावी वाद जब एसडीएम न्यायालय में विचाराधीन है और जिसका संज्ञान माननीय हाई कोर्ट में भी है , ऐसी चुनाव करवाने की क्या जल्दी थी ।
-देहरादून महानगर में तक़रीबन ३०,००० सिख निवास करते है , आपने मात्र ५२ लोगों में से कैसे चुनाव करवा दिए ,५२ में से ७ लोग एक ही अध्यक्ष परिवार के हैं ।
-आपने एसडीएम के कहे मुताबिक शहर के सभी सिखों को सदस्य बनाने का अवसर प्रदान क्यों नहीं किया ।
-सोसाइटी एक्ट १९८० के अनुसार आपने सभी सदस्यों को खुद सूचित क्यों नहीं किया ।
-हाई कोर्ट नैनीताल में श्री गुरु सिंह सभा सोसाइटी के खिलाफ जिन ११ लोगों ने याचिका दायर की थी उनको इस चुनाव में भागिदार क्यों नहीं बनाया ।
-सदस्य्ता शुल्क कैसे और कब जमा हुए इसकी जांच क्यों नहीं की ।
-जब चुनाव श्री गुरु सिंह सभा के पंजीकृत कार्यालय में होने का आदेश प्रशासनिक अधिकारी श्री रामकुमार सिंह को दिया गया था तो ३ किलोमीटर दूर बरातघर में चुनाव क्यों करवाए गए ।
-जब सभा का चुनावी वाद २०१६ से चल रहा है और रजिस्ट्रार कार्यालय अनुसार कोई पदाधिकारी पद पर रहने का हक़दार नहीं है तो नए सदस्य बनाने का अधिकार किसको था ।
-चुनाव पूर्व संस्था के पुराने सदस्यों को अपनी सदस्यता नवीनीकरण करने का अवसर क्यों नहीं दिया गया ।
-संस्था के अभिलेखों अनुसार २०२० में ४२७ सदस्यों ने अपना चंदा जमा करवाया तो २०२१ मई आपने मात्र ५२ सदस्यों में चुनाव कैसे करवा दिए ।
-चुनाव को गलत ठहराते हुए कई पूर्व सदस्यों द्वारा रजिस्ट्रार कार्यालय में आपत्तियां डाली गयी , क्या उनका संतोषजनक निस्तारण किया जा चूका है ।
-सोसायटी कार्यालय द्वारा ही संस्था पर चुनावी कार्यवाही पर रोक लगाई गई थी फिर किस आधार पर सोसाइटी कार्यालय अपने आदेश से पलट गया।
-जिन कारणों और अनियमितता के चलते संस्था अपंजीकृत की गई थी क्या उन का निस्तारण हुआ? क्या वजह रही जो सोसाइटी कार्यालय ने द्वितीय पक्ष को नही सुना और एकपक्षीय कार्यवाही की।
-श्री गुरु सिंह सभा किसी भी शहर की सर्वोच्च सिख संथा होती है , देहरादून शहर में लगभग ३५ छोटे गुरुद्वारा भी है , उनके प्रतिनिधि इस चुनाव में शामिल क्यों नहीं किये गए ।
-श्री अकाल तखत साहिब अमृतसर एवं भारत सरकार द्वारा गुरुद्वारा प्रबंधन हेतु कुछ कड़े नियम बनाये गए हैं , क्या आपने ये चुनाव करवाने हेतु उनका संज्ञान लिया।
शहर के सिख समाज का एक बहुत बड़ा खेमा विशेष कर युवा , श्री गुरु सिंह सभा देहरादून पर हो रक्खे एक परिवार समूह के अवैध कब्ज़े को लेकर लम्बे समय से आन्दोलंकृत रहा है ।
उनका कहना है की शहर के सभी सिक्खों को सिंह सभा चुनाव में हिस्सा लेने का अवसर प्रदान हो और निष्पक्ष चुनाव होने चाहिए ।
पर कुछ दूँ क्लब से जुड़े हुए लोग अपनी राजनितिक पहुँच बनाये रखने के लिए श्री गुरु सिंह सभा का कब्ज़ा छोड़ने को तैयार नहीं हैं । राजनीती से जुड़े कुछ सिख लोगों को ये अंदेशा भी रहता है कि शायद सिंह सभा में अपनी हिस्सेदारी दिखा कर किसी सरकार में कोई लाल बत्ती ही प्राप्त हो जाए ।