देहरादून। अब राज्य में गोल्डन कार्ड और आयुष्मान भारत योजना के तहत उपचार करने वाले सभी पंजीकृत निजी अस्पतालों को सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम के अंतर्गत मांगी गई जानकारी उपलब्ध करानी होगी। यह स्पष्ट आदेश राज्य सूचना आयुक्त श्री योगेश भट्ट द्वारा सुनाया गया है।
यह निर्णय वैलमेड अस्पताल द्वारा एक मरीज को उपचार से संबंधित सूचना देने से इंकार किए जाने के प्रकरण में लिया गया। आयोग ने इस मामले में राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के लोक सूचना अधिकारी को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है।
क्लिनिकल एस्टैब्लिशमेंट्स एक्ट के तहत आती है जिम्मेदारी
सुनवाई के दौरान यह तथ्य सामने आया कि उत्तराखंड राज्य में निजी अस्पतालों का संचालन The Clinical Establishments (Registration and Regulation) Act, 2010 और The Uttarakhand Clinical Establishments Rules, 2013 के तहत किया जाता है। अधिनियम के अनुसार, प्रत्येक पंजीकृत निजी अस्पताल को न केवल मरीजों का चिकित्सा अभिलेख सुरक्षित रखना होता है, बल्कि इनसे जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी सांख्यिकी सूचना भी जिला प्राधिकरण को भेजनी होती है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी की ओर से उपस्थित डॉ. वंदना सेमवाल ने बताया कि निजी अस्पतालों को मरीज के उपचार से संबंधित दस्तावेजों के रखरखाव की कानूनी बाध्यता है। वहीं, राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के लोक सूचना अधिकारी ने भी स्वीकार किया कि आयुष्मान या गोल्डन कार्ड योजना के तहत उपचार करने के लिए निजी अस्पतालों को राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण में पंजीकरण कराना अनिवार्य है और इनका भुगतान भी सरकार द्वारा किया जाता है।
RTI से बाहर नहीं रह सकते निजी अस्पताल
राज्य सूचना आयुक्त श्री योगेश भट्ट ने अपने निर्णय में कहा कि,
“जिन निजी अस्पतालों का संचालन सरकार के अधिनियमों और योजनाओं के अंतर्गत होता है, वे सूचना का अधिकार अधिनियम से बाहर नहीं माने जा सकते। किसी मरीज को उसके खुद के उपचार से जुड़ी जानकारी देना बाध्यकारी है और इससे इनकार करना अधिनियम का उल्लंघन है।”
आयुक्त ने यह भी निर्देश दिया कि यदि कोई मरीज सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत इलाज से संबंधित जानकारी मांगता है, तो संबंधित मुख्य चिकित्सा अधिकारी को धारा 5(4) और Clinical Establishments Act में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जानकारी निजी अस्पताल से प्राप्त कर मरीज को उपलब्ध करानी चाहिए।
स्वास्थ्य प्राधिकरण पर भी जवाबदेही तय
राज्य सूचना आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन सूचनाओं तक राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की पहुंच है, वह सूचना आरटीआई के अंतर्गत दी जानी चाहिए। साथ ही, प्राधिकरण को भविष्य में अस्पतालों को पंजीकृत करते समय यह शर्त स्पष्ट करनी होगी कि वे सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी प्रदान करने के लिए बाध्य होंगे।