नीरज उत्तराखंडी
सुनने में जरूर अटपटा लग रहा होगा, आपने गुरूजी को अज्ञान का अंधेरा दूर करते हुए ज्ञान की रोशनी बांटते हुए जरूर देखा और सुना होगा लेकिन दवा बांटते हुए नहीं !लेकिन आज हम आप से एक ऐसे शिक्षक की मुलाकात करवाते हैं जो सीमांत गांव के बाशिंदों के भविष्य को संवारने तथा उज्ज्वल बनाने के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य की खैरमकदम भी करते हैं।
जी हां ऐसी ही शिक्षक है संत राम कोली, जो वर्ष 2010 से मोरी ब्लाक के सुदूरवर्ती सीमांत गांव गंगाड के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में तैनात हैं। गुरूजी यहाँ अध्ययन कर रहे 26 बच्चों के भविष्य को संवारने के साथ सुबह शाम तथा आपातकाल में रात को भी दवाई बांटकर ग्रामीणों के स्वास्थ्य का भी ख्याल रखते हैं।
संतराम कोली मोरी ब्लाक के डामटी थुनारा आराकोट बंगाण क्षेत्र के रहने वाले हैं। इनकी इंटर तक की पढ़ाई राजकीय इंटर कालेज आरकोट में हुई। तथा वर्ष 1993 में दूसरी श्रेणी में इंटर की परीक्षा पास की। उसके बाद वर्ष 2000 में पोलीटेक्नीक काॅलेज उत्तरकाशी से फार्मेसी का डिप्लोमा अर्जित किया। 2002 में आगरा तथा देहरादून से दो दो मास का वेटरनरी कोर्स भी किया। तत्पश्चात 2004 में बीएड किया। 2006में अध्यापक के रूप में मोरी ब्लाक के राजकीय प्राथमिक विद्यालय धारा में प्रथम नियुक्ति हुई तथा प्रमोशन के बाद वर्ष 2010 से राजकीय जूनियर हाई स्कूल गंगाड में तैनात हैं,जो विगत 8 वर्ष से यहाँ शिक्षा के साथ साथ सीमांत वासियों की सेहत का भी ध्यान रखते हैं।
बताते चलें कि तत्कालीन उत्तर प्रदेश के समय दूरदर्शी नेता रवांई के विकास पुरुष पर्वतीय विकास मंत्री स्वर्गीय बरफिया लाल जुवांठा ने मोरी ब्लाक के सीमांत गांव लिवाडी तथा गंगाड में ऐलोपैथिक अस्पताल खुलवाए थे। जो वर्तमान समय में डाक्टर फार्मेसिस्ट तथा अन्य कर्मचारियों तथा भवनों के अभाव के चलते बदहाल पडे हैं और स्वयं के स्वस्थ होने की राह देख रहे हैं,तथा किराये के भवनों में संचालित किये जा रहे हैं। लिवाडी ऐलोपैथिक अस्पताल में तो विगत कई सालों से ताला लटका है। लेकिन गंगाड में डाक्टर की तैनाती कागजों में ही चल रही है। यहाँ फार्मेसिस्ट का पद काफी समय से रिक्त चल रहा है।जिससे व्यवस्था पर संचालित किया जा रहा है। यहाँ गडूगाड उप केंद्र में तैनात फार्मेसिस्ट वासुदेव राणा को महीने में 15 दिन के लिए व्यवस्था पर भेजा जाता है। ऐसे में सीमांत वासियों के लिए शिक्षक संत राम कोली फरिश्ता बनकर आये हैं जो खाली समय में अस्पताल में दवाई बांटकर ग्रामीणों के स्वास्थ्य का ध्यान रखते है। फार्मेसिस्ट दवाइयां यहाँ पहुँचाते हैं और गुरूजी जरूरत पड़ने पर दवाइयां बाँट कर ग्रामीणों के आशीर्वाद के साथ-साथ दुआ कमाते हैं।