भूपेंद्र कुमार
एक साल होने को है सरकार ने पूरे राज्य में शराब की दुकानें तो आवंटित कर दी लेकिन अभी तक शराब के ठेकेदारों से न तो प्रतिभूति जमा की और ना ही फर्जी बैंक गारंटी पर कोई एक्शन लिया।
अकेले देहरादून में ही कई ठेकेदार ऐसे हैं जिन्होंने अभी तक लाइसेंस फीस प्रथम प्रतिभूति और द्वितीय प्रतिभूति तक जमा नहीं की है। कई ठेकेदारों ने बैंक गारंटियां भी फर्जी लगाई हुई हैं। नियम यह है कि शराब के ठेकेदारों को दुकान के आवंटन के 1 महीने के भीतर भीतर फरवरी और मार्च का राजस्व अग्रिम तौर पर विभाग में जमा कराना होता है।
दुकानों के लाइसेंस धारकों को अनिवार्य रूप से मार्च का एडवांस कैश में और फरवरी का कैश या बैंक गारंटी के रूप में जमा करने के लिए निर्देश दिए गए थे। किंतु शराब कारोबारियों ने फर्जी बैंक गारंटी बनाकर विभाग में जमा करा दी।
पर्वतजन के सूत्रों के अनुसार शराब कारोबारियों को आबकारी विभाग ने ही फर्जी बैंक गारंटी जमा करने के लिए उकसाया था। आबकारी विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के कारण सरकार को ब्याज के रूप में अच्छा खासा चूना लग चुका है।
गौरतलब है कि पिछले फरवरी के महीने में नैनीताल में एक ऐसा ही मामला सामने आया था, जिसमें विभागों ने जब समय पर पैसा जमा नहीं कराया तो फिर जिलाधिकारी ने दुकानदारों के खिलाफ जांच बैठा दी थी। उसमें यह पता चला था कि 9 शराब के दुकानदारों ने फर्जी बैंक गारंटी जमा कर रखी थी। विभाग ने फर्जी बैंक गारंटी के मामले में तो कोई कार्यवाही नहीं की अलबत्ता कारोबारियों को जल्दी से पैसा जमा कराने के लिए नोटिस जरूर दे दिया था। किंतु इसके बावजूद भी जब कारोबारियों ने पैसा जमा नहीं कराया तो डीएम ने इन कारोबारियों की संपत्ति की खरीद फरोख्त पर रोक लगा दी थी। शक्ती होने के बाद 4 दुकानदारों ने तो तत्काल ब्याज सहित फरवरी का राजस्व एडवांस जमा करवा दिया था लेकिन अकेले नैनीताल में ही 70 लाख रूपये अभी भी दुकानदारों की ओर से बकाया थे।
इसके बाद आबकारी मंत्री प्रकाश पंत ने निर्देश जारी किए थे कि सभी जनपदों में एडवांस पैसों के लिए दी गई बैंक गारंटी की जांच करवाई जाए और बैंक गारंटी गलत पाए जाने पर आवंटन निरस्त कर दिया जाए।
किंतु विभागीय अधिकारियों ने आबकारी मंत्री के इस आदेश को भी रद्दी की टोकरी में डाल दिया।
इस संवाददाता ने जब देहरादून के जिला आबकारी अधिकारी से सूचना के अधिकार के अंतर्गत बैंक गारंटी तथा प्रतिभूतियों के बारे में जानकारी मांगी तो विभाग खामोश हो गया।
जब अपीलीय अधिकारी और जिला अधिकारी एस ए मुरुगेशन के कार्यालय में अपील की गई तो डीएम ने जिला आबकारी अधिकारियों को 12 मार्च को तत्काल सूचना उपलब्ध कराने का निर्देश दिया और अत्यंत नाराजगी जाहिर की।
एस ए मुरुगेशन ने कहा कि न तो आबकारी विभाग ने यह सूचना उपलब्ध कराई और ना ही कोई कारण बताया। उन्होंने इसको अत्यंत खेत का विषय बताया।
किंतु देहरादून के आबकारी अधिकारी जिलाधिकारी की डांट को भी पचा के इस आरटीआई का इतना असर जरूर हुआ कि रायवाला ठेके के लाइसेंस धारक प्रतिभूति जमा कराने कार्यालय आ गए फर्जी बैंक गारंटी के मामले में विभाग को कुछ कहते नहीं बन रहा। जबकि सरकार तक सीधी पहुंच रखने वाले दुकानदार मजे में है।
इससे सरकार को करोड़ों रुपए का राजस्व का नुकसान हो चुका है। 19 मई 2017 को जारी आबकारी अनुभाग की अधिसूचना के अनुसार दुकान आवंटन के 20 दिन के अंदर-अंदर लाइसेंस धारक को चरित्र, स्थाई निवास प्रमाण पत्र तथा हैसियत प्रमाण पत्र भी अनिवार्य रूप से जमा करना होता है।
हैसियत प्रमाण पत्र के साथ बैंक गारंटी भी जमा करनी होती है ऐसा न करने पर 30 दिन के बाद लाइसेंस तथा दुकान का आवंटन निरस्त करने के स्पष्ट नियम हैं। इस पूरे मामले में आबकारी निदेशालय के अधिकारियों की भी सीधी मिलीभगत बताई जा रही है।