अमित तोमर
कल शाम से ही कश्मीरी न्यूज़ पोर्टल और अखबार एक झूठी खबर को प्रचारित-प्रसारित कर रहे थे, जिसके अनुसार 15-20 कश्मीरी छात्राओं ने स्वयं को सुद्धोवाला स्थित एक गर्ल्स होस्टल में बंद कर लिया था क्योंकि नारे लगाती आक्रोशित भीड़ ने होस्टल को घेर लिया था।
इस निराधार खबर को भारत के मुखपत्र कहे जाने वाले अंग्रेज़ी अखबारों ने भी बिना वास्तविकता जाने आज छाप दिया। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है जब सम्मानित समाचार पत्र ही केवल TRP बटोरने के लिए कोरी अफवाहों को मुख्यपृष्ट पर छाप दे।
इसमें ‘द वायर’ और ‘बीबीसी’ जैसे न्यूज़ पोर्टल भी थे जिन्होंने कश्मीरी छात्रों द्वारा की जा रही देशद्रोही टिप्पणियों पर तो खबर नहीं बनाई लेकिन कश्मीरी छात्रों द्वारा खुद को कमरे में बंद कर देने जैसी झूठी खबर जरूर प्रसारित कर दी
14 फरवरी को हुए हमले के उपरांत पूरे भारत मे गम और आक्रोश का माहौल था। अभी शहीद हुए सैनिकों के शव उनके आँगन में भी ना लौटे थे कि कुछ कश्मीरी छात्रों द्वारा बेहद शर्मनाक पोस्ट सोशल मीडिया पर लिखे गए जिनसे देहरादून की जनता में भयानक आक्रोश उत्पन्न हो गया जो निश्चित ही स्वाभाविक था।
आग की तरह यह खबर पूरे देश में फैल गयी और उत्तेजित भीड़ उन शिक्षण संस्थानों के बाहर जम गई जहां ये कश्मीरी छात्र अध्यनस्थ थे। आक्रोशित भीड़ को संभाल पाना मानो असम्भव था। यह दून पुलिस के लिए परीक्षा की घड़ी थी। स्वयं SP सिटी श्रीमती श्वेता चौबे मोर्चा संभाले थी। SSP श्रीमती निवेदिता कुकरेती कुमार हर क्षण नज़र बनाये थी। भीड़ बेकाबू थी और राजनैतिक अमला भी ऐसी स्थिति का राजनैतिक फायदा उठाने की कोई कसर नही छोड़ना चाहता था परंतु SSP निवेदिता कुकरेती एवं SP सिटी श्वेता चौबे ने प्रोफेशनल पुलिसिंग का उत्कृष्ठ उद्धारण प्रस्तुत किया और बहुत सूझ-बूझ से आक्रोशित भीड़ को शांत कराया अन्यथा कोई भी गंभीर घटना कारित हो सकती थी।
देहरादून में अध्यनस्थ कश्मीरी छात्रों द्वारा हमलों की झूठी अफवाहे उड़ाई गयी जिसे कश्मीरी मीडिया ने लपककर भारत विरोधी माहौल तैयार कर दिया और बिना साक्ष्य के देहरादून पुलिस पर झूठे आरोप मढ़ डाले। यह पूरा खेल केवल उन कश्मीरी छात्रों को बचाने के लिए था जिन्होंने राष्ट्र विरोधी पोस्ट सोशल मीडिया पर लिखे थे।
कल से निरंतर दून पुलिस को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा था परंतु झूठ के पाँव नही होते। आज SSP निवेदिता कुकरेती एवं SP सिटी श्वेता चौबे स्वयं उस कथाकथित गर्ल्स हॉस्टल पहुंची और निराधार खबरों की वास्तविकता जानी तो सच सामने आ गया। ऐसी कोई भी कथाकथित घटना कल हुई ही नही थी। होस्टल में 120 से अधिक छात्रायें रहती है जो भारत के अलग अलग प्रदेशों से है जिनमें कुछ कश्मीरी भी है। सभी ने ऐसी किसी भी घटना होने से इंकार किया। क्या अब ये धुरंदर कलमकार दून पुलिस से माफ़ी मांगेंगे?
सभी भाई बहनों से आग्रह है संयम रखें। कहीं हमारे किसी भावनात्मक कृत्य के कारण हमारी पुलिस बदनाम ना हो जाये।
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