…..और आखिरकार कर्नल अजय कोठियाल ने गढ़वाल लोक सभा सीट से निर्दलीय तौर पर लड़ने का निर्णय कर ही लिया।
कर्नल कोठियाल ने पौड़ी से परचा खरीद लिया है और 25 तारीख को वह अपना नॉमिनेशन करेंगे। कर्नल कोठियाल ने अपने रणनीतिकारों के साथ चुनाव लड़ने की रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है।
इससे पहले भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के इच्छुक रहे कर्नल कोठियाल को आखिरी वक्त तक भाजपा से टिकट दिए जाने का दिलासा दिया जाता रहा, इसी कारण कर्नल कोठियाल ने कांग्रेस के प्रस्ताव को भी अस्वीकार कर दिया था।
जब कांग्रेस ने भाजपा के नेता तथा पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी के पुत्र मनीष खंडूड़ी को कांग्रेस में शामिल करके पौड़ी लोकसभा सीट पर लड़ाने का निर्णय ले लिया तो कर्नल कोठियाल के लिए कांग्रेस के दरवाजे बंद हो गए।
कर्नल कोठियाल को अकेला पड़ते देख भाजपा के रणनीतिकारों ने कर्नल कोठियाल को मनोवैज्ञानिक ढंग से इस बात के लिए मना लिया कि “निर्दलीय लड़के कोई फायदा नहीं है, उनके लिए भविष्य में भाजपा के दरवाजे खुले रहेंगे।”
कर्नल कोठियाल में एक बारगी मन बना भी लिया था लेकिन क्षेत्र में दिन रात चुनाव प्रचार कर रहे कर्नल कोठियाल के समर्थकों ने उल्टे कर्नल कोठियाल को ही चुनाव लड़ने के मना लिया और कहा कि “लड़ाई में भी जब सैनिक उतरते हैं तो यह तय रहता है कि 10 में से मात्र 2 सैनिक ही बचेंगे, 8 शहीद हो जाएंगे, इसके बावजूद युद्ध लड़ा जाता है, फिर यह तो राजनीति का मैदान है यहां मैदान से कैसे भागा जा सकता है !” कर्नल के जोशीले समर्थकों में इस बात को लेकर भी गहरा गुस्सा है कि “भाजपा ने कर्नल के साथ धोखेबाजी की है लिहाजा इसका सबक सिखाया जाना चाहिए।”
भाजपा ने भी कर्नल कोठियाल से अपना संवाद खत्म करके तीरथ सिंह रावत को आगे कर दिया तो भाजपा से अपेक्षाकृत कमजोर प्रत्याशी समझे जा रहे तीरथ सिंह रावत के कारण भी निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर रहे कर्नल कोठियाल के समर्थकों के हौसले बुलंद हैं।
दरअसल भाजपा और कांग्रेस दोनों ने रणनीति ढंग से कर्नल कोठियाल को किनारे कर दिया था।
कांग्रेस की रणनीति यह थी कि यदि कर्नल कोठियाल निर्दलीय लड़ते हैं तो भाजपा को मिलने वाला फौजी वोट बैंक बंट जाएगा और इस से कांग्रेस प्रत्याशी मनीष खंडूड़ी की जीत की राह आसान हो जाएगी।
सोशल मीडिया मे भी कर्नल कोठियाल के लिए दीवानगी दिख रही है। गुणानंद ज़ख्मोला लिखते हैं कि “पहाड़ी एहसान फरामोश नहीं है, कर्नल अजय कोठियाल ने केदारनाथ आपदा से लेकर पहाड़ के युवकों को फौज में भर्ती कराने के लिए व्यापक प्रशिक्षण दिया है। इसलिए कर्नल कोठियाल को वोट जरूर दिया जाना चाहिए”
गुणानंद ज़ख्मोला लिखते हैं कि “70 साल तक नेताओं पर भरोसा करते रहे एक बार इस फौजी पर भी भरोसा करके देखिए।”
वहीं उत्तराखंड युवा मोर्चा मिशन का ऐलान है कि “भाजपा ने कर्नल कोठियाल को टिकट नहीं दिया, इसलिए वे भी भाजपा को वोट नहीं देंगे।”
जाहिर है कि भाजपा को भी इस सीट पर काफी मेहनत करनी होगी। भाजपा के कैडर वोट से पार पाना कर्नल कोठियाल के लिए भी आसान नहीं है। वहीं इस सीट पर 61फीसद ठाकुर मतदाता हैं और मात्र 21 फ़ीसदी ब्राह्मण वर्ग के वोटर हैं।
इतना जरूर है कि कर्नल कोठियाल के चुनाव लड़ने पर फौजी वोट बैंक भाजपा के साथ साथ जनरल खंडूड़ी के पुत्र मनीष खंडूरी और कर्नल कोठियाल के साथ भी बंट जाएगा।