विनोद कोठियाल
वन विभाग में एक के बाद एक वित्तीय अनियमितताओं के चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी में देहरादून में कैक्टस पार्क बनाने के लिए वन विभाग प्रमुख पी के पात्रों द्वारा कैक्टस के पौधों की खरीदारी एवं पार्क में प्रयुक्त सामग्री को बिना किसी सेवा शर्तों के पालन किये लाखों रुपए की नगद भुगतान पर खरीदा गया। जबकि उत्तराखंड प्रोक्योरमेन्ट रूल के अनुसार ₹50,000 से अधिक की धनराशि को बिना टेंडर या बिना कोटेशन के नहीं खरीदा जा सकता।
पात्रो द्वारा कैक्टस पार्क में 6 लाख रुपए से अधिक के नगद भुगतान को दर्शाया गया है, इसमें न तो कोई कोटेशन ली गई और न ही सरकारी विभाग द्वारा यह रेट प्रमाणित हैं।
देहरादून के नींबूवाला में आनंद फॉर्म नर्सरी मे से कैक्टस के पौधों को ₹500 से ₹6000 तक की दरों पर कुल 7,17,680 का भुगतान किया गया, जबकि इससे पहले वन विभाग द्वारा इसी आनंद नर्सरी से देहरादून में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के आगमन पर शहर की साज-सज्जा के लिए आनन फानन में बिना रेट प्रमाणित के भी लाखों रुपए भुगतान कर पाम के पौधे खरीदे गए थे, जिनमे से अधिकांश कुछ समय बाद ही सूख गए थे।
इसी नर्सरी से कैक्टस पार्क बनाने के लिए बिना किसी सेवा शर्तों के बड़ी मात्रा में सामान खरीदा गया, जोकि नियमों के उल्लंघन कर भुगतान नगद किया गया। अपने आप में यह मामला वित्तीय अनियमितताओं में आता है।
ऋषिकेश निवासी आरटीआई कार्यकर्ता विनोद कुमार जैन द्वारा आरटीआई में इस प्रकरण का खुलासा किया। इससे पूर्व भी आरटीआई कार्यकर्ता विनोद कुमार जैन द्वारा वन विभाग के अंतर्गत हुए कई घोटालों का पर्दाफाश कर चुके हैं, जैसे कि
राजाजी नेशनल पार्क के अंतर्गत हाथी चारा घोटाला, हैंड पंप घोटाला, राजाजी नेशनल पार्क के अंतर्गत तत्कालीन डीएफओ एचके सिंह द्वारा फर्जी भर्ती घोटाला या इस तरीके के अन्य कई प्रकार के प्रकरणों को उजागर किया गया है।
उपरोक्त प्रकरण पर स्पेक्ट्रम मेटल स्टोर हरिद्वार रोड धर्मपुर से भी पी के पात्रों द्वारा 6 लाख से ऊपर का भुगतान बिना किसी टेंडर और कोटेशन के किया गया,जिससे प्रतीत होता है कि यहां वित्तीय अनियमितता हुई है।
इसी प्रकार कैक्टस पार्क बनाने के लिए आनंद नर्सरी नींबूवाला कौलागढ़ से कैक्टस के पौधों को खरीदने के लिए भी बड़ी मात्रा में पैसों का नगद भुगतान हुआ है, जिसकी विभागीय दरें भी प्रमाणित नहीं हैं।
इस विषय पर आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा लिखित में शपथ पत्र दाखिल कर विभाग प्रमुख जयराज से शिकायत की गई है। देखना है कि इससे वन विभाग क्या उचित कार्रवाई अमल में लाता है !