पौड़ी गढ़वाल के धुमाकोट बस हादसे की गाज आखिरकार धूमाकोट के थानेदार और एआरटीओ पर गिर ही गई।
हादसे में ओवरलोडिंग को लेकर लापरवाही बरतने पर सीएम ने इन दोनों को तो सस्पेंड करने का आदेश कर दिया और कार्य बोझ के तले दबे गढ़वाल कमिश्नर को भी हटाकर शैलेश बगौली को गढ़वाल कमिश्नर बना दिया गया है।साथ ही डीआईजी गढ़वाल पुष्पक ज्योति को हटाकर अजय रौतेला को डीआईजी गढ़वाल की जिम्मेदारी दी है।
इस मामले में एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि जिला अधिकारी मौके पर पूरे 10 घंटे देरी से पहुंचे तथा SSP खुद 3:30 बजे मौके पर पहुंचे। जिन अधिकारियों को मौके पर तुरंत पहुंच जाना चाहिए था, उन जिले के अधिकारियों को तो मुख्यमंत्री ने छेड़ा तक नहीं और जो दूर थे उनका ट्रांसफर कर दिया।
जाहिर है कि जावलकर पहले ही काफी विभागों के बोझ तले दबे हुए थे और खुद भी कमिश्नरी छोड़ना चाहते थे, ऐसे में मुख्यमंत्री की इस कार्यवाही को हल्की कार्यवाही बताया जा रहा है। यह कार्यवाही आंखों में धूल झोंकने जैसी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बस दुर्घटना की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। इससे ऐसा लगता है कि कुछ अन्य पर भी गाज गिर सकती है। हालांकि मुख्यमंत्री ने रविवार को समय पर हेलीकॉप्टर उपलब्ध न कराने वाली कंपनी के खिलाफ भी जांच के आदेश दिए हैं, किंतु इस पर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है कि जांच की प्रकृति क्या होगी।
ज्यादा संभावना इस बात की है कि हेली कंपनी को चेतावनी देकर मामला समाप्त किया जा सकता है। एक ओर मुख्यमंत्री ने ओवरलोडिंग को लेकर इतनी बड़ी कार्यवाही करके एक संदेश देना चाहा है, लेकिन हकीकत यह है कि कोटद्वार में और अन्य जगह पर भी बसों और ऑटो में जमकर ओवरलोडिंग की जाती रही। उन पर किसी ने भी ध्यान देने की जरूरत नहीं समझी। यदि समस्या की मूल जड़ पर ध्यान नहीं दिया गया तो ओवरलोडिंग भी चलती रहेगी और इसके कारण होने वाली दुर्घटनाओं के बाद संवेदना प्रकट करने और मुआवजा वितरण करके दो-चार दिन में मामला यूं ही शांत हो जाया करेगा।