यूं तो वन रक्षक के 13 पदों के लिए प्रदेशभर के युवाओं के लिए विज्ञापन निकाला गया था, लेकिन इस भर्ती में आश्चर्यजनक रूप से 6 सफल अभ्यर्थी ऐसे रहे, जिनके संबंधी व रिश्तेदार वन विभाग के उच्चाधिकारी हैं। ऐसे में अन्य अभ्यर्थियों में भारी आक्रोश है।
नीरज उत्तराखंडी/पुरोला
गोविंद वन्य जीव विहार व पार्क क्षेत्र में वन रक्षक (पतरौल) के पद की भर्तियां निकाली गई। वन रक्षक के पदों की इन भर्तियों के लिए सैकड़ों गरीब व बेरोजगार युवाओं ने आवेदन किया, किंतु आश्चर्यजनक रूप से इस भर्ती के जब परिणाम आए तो ज्ञात हुआ कि इस चयन में भारी घालमेल हुआ है।
पदों के लिए जारी की गई भर्ती की यह विज्ञप्ति यूं तो पूरे प्रदेश के लिए आमंत्रित थी, किंतु आश्चर्यजनक रूप से वन रक्षक के 13 रिक्त पदों में से 6 लोग वन प्रभाग में उच्च पदों पर कार्यरत अधिकारियों के करीबी व विभाग के कर्मचारियों के परिवार के अभ्यर्थियों को भर्ती किया गया। जिससे युवा बेरोजगारों में विभाग के प्रति भारी रोष व्याप्त है।
फाइल में दबी जांच
वन आरक्षी पदों की खुली भर्ती प्रक्रिया पर लोगों को शंका हुई कि आखिरकार ऐसा क्या जादू चला कि इस भर्ती परीक्षा में वन प्रभाग के लोगों के परिजन ही भर्ती हुए। नवक्रांति स्वराज मोर्चा ने बाकायदा इसकी शिकायत विभाग के उच्च अधिकारी से कर डाली। वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक ने मामले का संज्ञान लेते हुए एसडीएम को जांच के आदेश दिए। एसडीएम पुरोला ने मामले की जांच कर वन विभाग के उच्च अधिकारियों को जांच सौंप दी, लेकिन जांच की आंच अभी भी ठंडी पड़ी हुई है।
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इस भर्ती परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों की सूची पर नजर डालें तो ऐसा प्रतीत होता है कि ओपन भर्ती में विभाग के अधिकारियों के संबंधी अभ्यर्थियों को भरा गया है। जिनमें उत्सव सिंह पुत्र मान सिंह का चयन हुआ है। उत्सव के पिता मान सिंह चकराता वन प्रभाग के कालसी में डीएफओ के पद पर तैनात हैं।
रितिका दोसाद अपने जीजा की कृपा से इस भर्ती में सफल रही। बताया जा रहा है कि इनके जीजा अल्मोड़ा में उप वन संरक्षक हैं। मुख्य वन संरक्षक धनंजय मोहन की टाइपिस्ट रही प्रियंका पांडे भी इस भर्ती में सफल रही। प्रियंका पांडे को ज्वाइनिंग के बाद दो माह तक गोविंद जीव विहार के पुरोला स्थित ऑफिस में रखा गया, जबकि कागजों में उसकी ड्यूटी सांकरी में बताई जा रही है। बावजूद इसके प्रियंका पांडे को देहरादून में मुख्य वन संरक्षक के ऑफिस में अटैच किया गया है। यानि कि नौकरी वन रक्षक की और काम टाइपिस्ट का।
वहीं टौंस वन प्रभाग के कोठी गाड़ रेंज में तैनात रेंज अधिकारी की पुत्री प्रतिमा भी वन रक्षक के पद पर चयनित होने में सफल रही।
उपनिदेशक व वार्डन की टाइपिस्ट रही सुधा उनियाल भी वन रक्षक के पद पर भर्ती होने में सफल हो गई।
चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन के टाइपिस्ट रहे रवि पंत भी इस परीक्षा में सफल रहे। वहीं परीक्षा में चयनित अश्वनी पांडे के पिता हरिद्वार में फॉरेस्टर के पद पर कार्यरत हैं।
इस प्रकार वन रक्षक की इस खुली भर्ती में विभाग के अधिकारियों ने अपनों को भर कर बेरोजगारों में आक्रोश पैदा किया। योग्य बेरोजगारों का कहना है कि प्रश्न पत्रों के बनाने से लेकर इस भर्ती प्रक्रिया में काफी घपला-घोटाला हुआ है।
नवक्रांति स्वराज मोर्चा के पदाधिकारी गजेंद्र चौहान, बलदेव सिंह भंडारी, गंभीर सिंह चौहान व गजेंद्र जोशी का कहना है कि क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं के साथ हो रहा भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मोर्चा ने भर्ती प्रकरण की जांच की मांग की थी, लेकिन अभी तक इस प्रकरण में विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। यदि विभाग इस भर्ती प्रक्रिया में दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही नहीं करता है तो संगठन आंदोलन के लिए बाध्य होगा।
एसडीएम पुरोला ने मामले की जांच कर वन विभाग के उच्च अधिकारियों को जांच सौंप दी, लेकिन जांच की आंच अभी भी ठंडी पड़ी हुई है। भर्ती में उत्सव सिंह पुत्र मान सिंह का चयन हुआ है। उत्सव के पिता मान सिंह चकराता वन प्रभाग के कालसी में डीएफओ के पद पर तैनात हैं।