त्रिपुरा में भाजपा की सरकार बनने के बाद लेनिन की मूर्ति तोड़ी गई, उसके बाद श्यामा प्रसाद मुखार्जी से लेकर दीनदयाल उपाध्याय और भीमराव अंबेडकर की मूर्ति भी तोड़ी गई। उत्तराखंड में इन दिनों मूर्तियों का बाजार देश की भांति गर्म है।
उत्तराखंड सरकार में स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री धन सिंह रावत लगातार दो बार श्रीनगर से चुनाव लड़े और दूसरी बार गणेश गोदियाल को हराकर पहली बार विधायक बनकर उत्तराखंड सरकार में एक दर्जन से अधिक सीनियर विधायकों को पछाड़ते हुए मंत्री बने। धन सिंह रावत प्रदेशभर में सौ-सौ फीट के झंडे लगाने के अलावा शौर्य दीवारें सजाने को लेकर भी चर्चा में हैं। अपनी विधानसभा श्रीनगर में धन सिंह रावत वीरचंद सिंह गढ़वाली की मूर्ति भी लगवा चुके हैं, जिसका लोकार्पण भारत सरकार के तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने किया। इसके बाद धन सिंह रावत ने पौैड़ी जनपद के लंबे समय तक मंत्री व विधायक रहे कांग्रेस के शिवानंद नौटियाल की मूर्ति भी लगवाई। शिवानंद नौटियाल की मूर्ति के लोकार्पण के दौरान तमाम क्षेत्र के लोगों के साथ-साथ शिवानंद नौटियाल की पत्नी को भी सम्मानित किया गया।
इन दोनों मूर्ति कार्यक्रमों से मिले शानदार राजनैतिक फीडबैक के बाद क्षेत्रीय विधायक और मंत्री धन सिंह रावत श्रीनगर विधानसभा सीट के थलीसैंण ब्लॉक के बहेड़ी गांव पहुंचे। यह गांव उनके राजनैतिक प्रतिद्वंदी गणेश गोदियाल का गांव है। गांव पहुंचकर धन सिंह रावत लाव-लश्कर के साथ गणेश गोदियाल के घर पहुंचे। वहां गणेश गोदियाल की मां से आशीर्वाद लिया और फिर गणेश गोदियाल की मां को बताया कि वीरचंद सिंह गढ़वाली और शिवानंद नौटियाल की मूर्ति के बाद उनका अगला काम गणेश गोदियाल के पिता स्व. सत्य प्रसाद गोदियाल की मूर्ति लगाना है।
स्व. सत्यप्रसाद गोदियाल रेलवे में नौकरी करते थे। धन सिंह रावत द्वारा स्व. सत्य प्रसाद गोदियाल की मूर्ति लगाने के पीछे उनके द्वारा रेलवे की नौकरी में किए गए काम हैं या थलीसैंण क्षेत्र में गोदियाल समुदाय के वोट जुटाना, ये तो वही जानें, किंतु धन सिंह रावत द्वारा स्व. सत्यप्रसाद गोदियाल की मूर्ति लगाने की पेशकश के बाद श्रीनगर विधानसभा में राजनैतिक चर्चाओं का बाजार गर्म है कि वीरचंद सिंह गढ़वाली के बिष्ट वोटों और शिवानंद नौटियाल के नौटियाल वोटों के बाद अब धन सिंह रावत की नजर गोदियाल वोटों पर है।