मुहम्मद सलीम सैफ़ी
डॉ. उमाकांत पंवार,प्रमुख सचिव,गृह,ऊर्जा एवं चेयरमैन,ऊर्जा विभाग के तीनों निगम(UPCL,UJVNL & PTCUL) जैसे भारी भरकम और बहुत ही ताक़तवर पदों से अचानक VRS लेकर 10 अगस्त 2017 को पूर्व आई.ए.एस हो गए,पद भी ऐसे जिन पदों की ज़िम्मेदारी मिलना किसी भी आई. ए.एस का सपना होता है,झट से त्याग दिया और निकल पड़े शांति की तलाश में,तरह तरह के कयास और चर्चाओ का बाज़ार गर्म हो गया,सवाल उठने लगे आखिर ये ताक़तवर आई.ए. एस अपनी सर्विस के बचे 9 सालो को ताक पर रखकर क्यो चल दिया,किसी ने कहा कि मोदी के निशाने पर है,किसी ने कहा बहुत माल बना लिया,किसी ने कहा देश छोड़कर विदेश में कुछ खेल है,किसी ने कहा किसी बड़े स्कैंडल में फंस गया है,किसी ने कहा ऊर्जा विभाग में बड़े घोटालो में बच नही पाएगा, जितने मुँह उतनी बाते,जितने क़लम उतने कलाम।
हम से रहा न गया,हमने भी सच के बाहर आने का इंतज़ार किया पूरे दो महीने,कुछ तो सामने आए मगर कुछ ऐसा नही सामने नही आया जिसका जिक्र चर्चाओ में था,लेकिन जो सच सामने आया, वो चौकाने वाला सच है।
डॉ उमाकांत पंवार का जो सच सामने आया,उससे चौंकना स्वाभाविक है और वो सच है,आत्मसंतुष्टि,शांति,अध्यन-अध्यापन, प्रशासनिक सुधार का प्रयास,इंसानियत और परिवार की संतुष्टि ।
जी हाँ, जब हम से रहा नही गया सच जानें बग़ैर तो हमने डॉ उमाकांत पंवार से सम्पर्क साधा और पहुँच गए उनके सामने सच जानने और पूछ डाला साहब बता दीजिए किस वजह से आपने इस्तीफा दे दिया आप तो मुख्य सचिव बन सकते थे अभी 9 साल बाकी थे,बहुत ताक़तवर ज़िम्मेदारी भी थी,फिर ऐसी क्या वजह बनी जो इस्तीफा देना पड़ा,
सौम्य और शांत स्वभाव वाले डॉ उमाकांत पंवार मुस्कराहट के साथ बोले,सलीम भाई मैंने इस्तीफा नही दिया बल्कि स्वच्छिक रिटायरमेंट लिया,फिर क्या लंबी गुफ्तगू हुई और कई चौकानें वाले सच सामने आए।
3 दिसंबर 1966 को हरियाणा के गुड़गांव में जन्मे डॉ उमाकांत पंवार ने 9 अगस्त 1991 को मंसूरी की प्रशासनिक अकादमी से जो सफ़र शुरू किया था वो सफर 10 अगस्त 2017 को अपने करियर के शीर्ष मुक़ाम से समाप्त करके एक नई राह पकड़ी है,अध्यात्म की राह,इंसानियत की राह,आत्मसंतुष्टि की राह,समाज को और मानवजाति को कुछ दे जाने की राह जिसका सिर्फ एक ही मंत्र है “ये ज़िंदगी न मिलेगी दुबारा”
जो सच सामने आए उनमें एक सच ये भी है डॉ उमाकांत पंवार ने अबसे 4 साल पहले से ही VRS लेने का मन बना लिया था जिसका साक्षी है डॉ पंवार का बॉथरूम जिसमें दर्ज है हर वो तारीख,हर वो महीना,हर वो दिन जो डॉ पंवार को उनके 50 वे जन्मदिन 3 दिसंबर 2016 पर स्वच्छिक सेवानिर्विति लेने की याद दिलाती थी,आवेदन करते थे मगर राज्य के मुख्यमंत्रीगण हमेशा उनकी राज्य को आवश्यकता जताकर ठंडे बस्ते में डाल देते थे मगर वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने डॉ उमाकांत पंवार की भावनाओं का सम्मान करते हुए न केवल VRS स्वीकार किया बल्कि उनकी प्रतिभा,संवेदनशीलता और कुछ नया करने की चाहत के चलते एक नया विभाग बनाकर उनको प्रशासनिक सुधार की ज़िम्मेदारी भी सौप दी और डॉ पंवार को ज़ेहन में कुछ शब्द हमेशा गूंजते रहते थे ये शब्द है “सुबह होती है,शाम होती है,ज़िंदगी यू ही तमाम होती है”,”ये ज़िंदगी न मिलेगी दुबारा”,डॉ पंवार ने MBBS की पढ़ाई के अलावा ऊर्जा क्षेत्र में पीएचडी की है और अब वैकल्पिक ऊर्जा पर शोध कर रहे है,मक़सद साफ़ है VRS लेकर देश ही नही विदेश में भी मानव जाति की नई पीढ़ी को वैकल्पिक ऊर्जा के नए नए शोध करके उन पर ज्ञान देना,स्वच्छ भारत मिशन को कामयाब बनाने के लिए कूड़े के सदुपयोग से ऊर्जा क्रांति लाना,मंसूरी अकादमी में नए नौकरशाहों को शालीनता,मानवता और प्रबंधन का मार्गदर्शन देना और सबसे महत्वपूर्ण अपने परिवार,बच्चों,माता-पिता और रिश्तेदारों, दोस्तो को वक़्त देना,सुखदुख बाँटना जो तेज़ भागती ज़िंदगी और दुनिया में कही छूट सा गया है,समाज को बहुत समय दे दिया मगर घर-परिवार अछूता रहा,ज़िन्दगी के 10,15,20 साल जो भी बचे है,अपने लिए जीने की चाहत अगर गुनाह है,तो ये गुनाह डॉ उमाकांत पंवार ने किया है और ऐसा गुनाह, जिसका न अफ़सोस है ,न पछतावा
(लेखक:मुहम्मद सलीम सैफ़ी,समाचार संपादक,न्यूज़ फर्स्ट टुडे एवं न्यूज़ वायरस नेटवर्क,देहरादून))