कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड की तिब्बत से लगी सीमा में धारचूला से कुछ दूर का ये मंजर रोंगटे खड़े कर देने वाला है। यहां पहली तस्वीर में आपको दूर से दो पहाड़ों को जोड़ने वाला एक पुल दिखाई देगा। दूसरी तस्वीर में नजदीक से खींची गई फ़ोटो में पुल लोहे का जानदार पुल जैसा दिख रहा है। लेकिन नदी में पानी के तबाही भरे मंजर के बाद पुल बह चुका है। ये एक्सक्लूसिव वीडियो आप सिर्फ हमारी स्क्रीन पर देख रहे हैं, जिसे वहीं के एक ग्रामीण रवि कुटियाल ने बनाया है।
देखिए वीडियो
एक तस्वीर ये भी है जिसमें हिमालय के ठीक नीचे बसे गांव की नदी के तेज बहाव ने सबकुछ बहा दिया है । ये मंजर ऐसा है जैसे कहीं ऊपर बादल फटा होगा और पानी का तेज बहाव सब कुछ बहाकर ले जाने को आमदा होगा। डर भरी निगाहों से इस मंजर को देखने के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ा है । कुटी में लगभग 100 परिवार रहते हैं जो ठंड के समय टेम्परेरी पलायन कर जाते हैं । यहां अब कैलाश याात्रियों केेे लिए होम स्टे खुलने के बाद कुछ परिवार वर्षभर रहने लगे हैं ।
ये स्थल धारचूला से चार दिन के पैदल रास्ते पर हिमालय के निचले हिस्से पर बसे कुटी गांव है, जो पार्वती झील से ठीक पहले है। कुटी गांव तिब्बत और चाइना को जोड़ने वाला भारत का आखिरी गांव है । इसके बाद चीन का लिपुलेख दर्रा पड़ जाता है, छोटा कैलाश भी इसी क्षेत्र से लगा हुआ है।
तब
अब
इस क्षेत्र में ही पुल के पार आई.टी.बी.पी.का कैम्प बना हुआ है। ये यांगति नदी से मिलने वाला नाला है जो बादल के फटने के बाद किसी बड़ी नदी जैसा लग रहा है। आगे चलकर यही नदी भारत और नैपाल को अलग करने वाली काली नदी बन जाती है ।