देवेश आदमी
पौड़ी जिले के अंतर्गत सन् 1964 में स्थापित व सन् 1968 में निर्मित रिखणीखाल प्रखंड के ग्रामसभा कांडा के प्राथमिक विद्यालय का मूल भवन जिसे ग्रामीणों ने श्रमदान कर स्वयं बनाया, वह अंदर से तो ढहा ही है और अब एकतरफ ढह गया है।
गौरतलब है कि विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या 27 है। वहीं पर विद्यालय के अतिरिक्त कक्ष में चल रहे आंगनबाड़ी केंद्र को भी खतरा हो चुका है।
सितंबर माह सन् 2010 की तबाही के दौरान इस भवन में मलबा घुस चुका था। तबसे जीर्ण हुये इस भवन से अलग “आइ ऑफ द टाइगर” द्वारा बने टपकते भवन पर किसी तरह कक्षा संचालन का कार्य चल रहा है।
लगभग पांच नाली के भूभाग पर फैले परिसर में यद्यपि आपदा मद से कक्ष बने लेकिन वह भी जैसे तैसे दुकान की तरह दो कमरे बने, जिनकी छत से पानी व सीमेंट टपकते रहते हैं व बच्चों के सिर पर लगता है।
यही हाल अतिरिक्त कक्ष का जिसमें आंगनबाड़ी चल रही का है और वन विभाग द्वारा प्रदत्त भवन भी कब ढह जाये भगवान भरोसे है।
एसएमसी अध्यक्ष जसोदा देवी का कहना है कि कई बार बैठकों के माध्यम से प्रस्ताव बनाकर दिये लेकिन कुछ कार्यवाही तो क्या कोई सुनने को राजी नहीं।
बच्चों को ऐसी जगह भेजना जान जोखिम में डालने वाला है। बेहतर है कि हम या तो आंदोलन की राह पर जायें या तीन किमी.दूर प्रावि.दियोड़ के लिये बच्चे भेजने को मजबूर होंगे।
प्रधानाध्यापक दिनेश बिष्ट का कहना है कि किसी तरह बच्चों व स्वयं की सुरक्षा को देखते हुये कक्षा संचालन हो रहा है।
वर्ष 2010 की आपदा के बाद से लगातार स्थानीय विधायक ,जिलाधिकारी व विभाग को प्रस्ताव दे देकर थक चुके लेकिन धरातल पर कुछ भी संभव न हुआ।